Vipin So Aawat Bhawan Kanhai

वन वापसी विपिन सों आवत भवन कन्हाई संग गोप गौअन की टोली और सुघड़ बल भाई गोधूली बेला अति पावन, ब्रज रज वदन सुहाई नील कमल पै जनु केसर की, सोहत अति सुखराई साँझ समय यह आवन हरि की, निरखहिं लोग लुगाई सो छबि निरखन को हमरे हूँ, नयना तरसहिं माई

Muraliya Mat Baje Ab Aur

मुरली का जादू मुरलिया! मत बाजै अब और हर्यौ सील-कुल-मान करी बदनाम मोय सब ठौर रह्यो न मोपै जाय सुनूँ जब तेरी मधुरी तान उमगै हियौ, नैन झरि लागै, भाजन चाहैं प्रान कुटिल कान्ह धरि तोय अधर पर, राधा राधा टेरे रहै न मेरौ मन तब बस में, गिनै न साँझ सवेरे

Nam Liya Prabhu Ka Jisane

सदुपदेश नाम लिया प्रभु का जिसने चाहे साधन और किया न किया जड़ चेतन जग में भी जितने, घट में सम इनको जान सदा परमारथ का नित कार्य किया, चाहे दान किसी को दिया न दिया जिसके घर में हरि चर्चा हो, दिन रात छोड़ दुनियादारी सत्संग कथामृत पान किया, चाहे तीर्थ का नीर पिया […]

Govind Karat Murali Gan

मुरली माधुर्य गोविन्द करत मुरली गान अधर पर धर श्याम सुन्दर, सप्त स्वर संधान विमोहे ब्रज-नारि, खग पशु, सुनत धरि रहे ध्यान चल अचल सबकी भई यह, गति अनुपम आन ध्यान छूटे मुनिजनों के, थके व्योम विमान ‘कुंभनदास’ सुजान गिरिधर, रची अद्भुत तान

Ab Main Koun Upay Karu

असमंजस अब मैं कौन उपाय करूँ जेहि बिधि मनको संसय छूटै, भव-निधि पार करूँ जनम पाय कछु भलो न कीन्हों, ताते अधिक डरूँ गुरुमत सुन के ज्ञान न उपजौ, पसुवत उदर भरूँ कह ‘नानक’ प्रभु बिरद पिछानौ, तब मैं पतित तरूँ 

Main Apno Man Hari So Joryo

मोहन से प्रीति मैं अपनो मन हरि सों जोर्यो, हरि सों जोरि सबनसो तोर्यो नाच नच्यों तब घूँघट कैसो, लोक-लाज डर पटक पिछोर्यो आगे पाछे सोच मिट गयो, मन-विकार मटुका को फोर्यो कहनो थो सो कह्यो सखी री, काह भयो कोऊ मुख मोर्यो नवल लाल गिरिधरन पिया संग, प्रेम रंग में यह तन बोर्यो ‘परमानंद’ […]

Ab Lo Nasani

भजन के पद शुभ संकल्प अब लौं नसानी, अब न नसैंहौं राम-कृपा भव-निसा सिरानी, जागे फिरि न डसैंहौं पायउँ नाम चारु चिंतामनि, उर करतें न खसैंहौं श्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी, चित कंचनहिं कसैंहौं परबस जानी हँस्यो इन इंद्रिन, निज बस ह्वै न हँसैंहौं मन मधुकर पन करके ‘तुलसी’, रघुपति पद-कमल बसैंहौं

Jaki Gati Hai Hanuman Ki

हनुमान आश्रय जाकी गति है हनुमान की ताकी पैज पूजि आई, यह रेखा कुलिस पषान की अघटि-घटन, सुघटन-विघटन, ऐसी विरुदावलि नहिं आन की सुमिरत संकट सोच-विमोचन, मूरति मोद-निधान की तापर सानुकूल गिरिजा, शिव, राम, लखन अरु जानकी ‘तुलसी’ कपि की कृपा-विलोकनि, खानि सकल कल्यान की

Meri Yah Abhilash Vidhata

अभिलाषा मेरी यह अभिलाष विधाता कब पुरवै सखि सानुकूल ह्वैं हरि सेवक सुख दाता सीता सहित कुसल कौसलपुरआय रहैं सुत दोऊ श्रवन-सुधा सम वचन सखी कब, आइ कहैगो कोऊ जनक सुता कब सासु कहैं मोहि, राम लखन कहैं मैया कबहुँ मुदित मन अजर चलहिंगे, स्याम गौर दोउ भैया ‘तुलसिदास’ यह भाँति मनोरथ करत प्रीति अति […]

Jay Ram Rama Ramnam Samanam

श्री राम वन्दना जय राम रमा- रमनं समनं , भव-ताप भयाकुल पाहिजनं अवधेस, सुरेस, रमेस विभो, सरनागत माँगत पाहि प्रभो दस-सीस-बिनासन बीस भुजा, कृत दूरि महा-महि भूरि-रुजा रजनी-चर-वृन्द-पतंग रहे, सर-पावक-तेज प्रचंड दहे महि-मंडल-मंडन चारुतरं, धृत-सायक-चाप-निषंग-बरं मद-मोह-महा ममता-रजनी, तमपुंज दिवाकर-तेज-अनी मनजात किरात निपात किए, मृग, लोभ कुभोग सरेनहिए हति नाथ अनाथनि पाहि हरे, विषया वन पाँवर […]