Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo
शरणागति तुम बिन जीवन भार भयो! कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो
Re Man Krishna Nam Jap Le
श्री कृष्ण स्मरण रे मन कृष्ण नाम जप ले भटक रहा क्यों इधर उधर तू, कान्ह शरण गह ले जनम मरण का चक्कर इससे, क्यों न मुक्त हो जाये यह संसार स्वप्न के जैसा, फिर भी क्यों भरमाये जिनको तू अपना है कहता, कोई भी नहीं तेरा मनमोहन को हृदय बिठाले, चला चली जग फेरा
Madhuri Murali Adhar Dhare
मुरली का जादू माधुरी मुरली अधर धरैं बैठे मदनगुपाल मनोहर सुंदर कदँब तरैं इत उत अमित ब्रजबधू ठाढ़ी, विविध विनोद करैं गाय मयूर मधुप रस माते नहीं समाधि टरैं झाँकी अति बाँकी ब्रजसुत की, कलुष कलेश हरैं बसत नयन मन नित्य निरंतर, नव नव रति संचरैं
Nath Ne Narsingh Rup Banaya
नरसिंह अवतार नाथ ने नरसिंह रूप बनाया, भक्त प्रहृलाद बचाया खम्भ फाड़ कर प्रगट भये हरि, सब को ही भरमाया आधा रूप लिया है नर का, आधा सिंह धराया हिरणाकशिपु को पकड़ धरा पर, नख से फाड़ गिराया गर्जन सुनकर ब्रह्माजी अरु सभी देवता आया हाथ जोड़ सब स्तुति करके, शांत स्वरूप कराया घट घट […]
Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par
नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार
Sharnagat Palak Param Prabho
प्रार्थना शरणागत पालक परम प्रभो, हमको एक आस तुम्हारी है तुम्हरे सम दूजा और नहीं, कोई दीनन को हितकारी है सुधि लेत सदा सब जीवों की, अतिशय करुणा उर धारी है प्रतिपाल करो बिन ही बदले, अस कौन पिता महतारी है बिसराय तुम्हें सुख चाहत जो, वह तो नादान अनारी है ‘परतापनारायण’ तो तुम्हरे, पद-पंकज […]
Mangal Diwas Chathi Ko Aayo
उत्सव मंगल दिवस छठी को आयो आनन्दित नंदराय जसोदा, मानों निर्धन धन को पायो न्हवा कान्ह को जसुमति मैया, कुल देवी के चरण परायो विविध भाँति के व्यंजन धर के, देवी को भलिभाँति मनायो सब ब्रज नारी बधावन आई, बालकृष्ण को तिलक करायो जय जयकार होत गोकुल में, ‘परमानंद’ हरषि जस गायो
Jay Jay Jag Janani Devi
पार्वती वन्दना जय जय जग-जननि देवि, सुर-नर-मुनि-असुर-सेवी भुक्ति-मुक्ति-दायिनि, भय-हरणि कालिका मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्व शर्वरीश-वदनि ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरण-पालिका वर्म-चर्म कर कृपाण, शूल-शेल धनुष बाण धरणि दलनि दानव दल रण करालिका पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनी-शाकिनि समेत भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगाल-जालिका जय महेश-भामिनी, अनेक रूप नामिनी समस्त लोक स्वामिनी, हिम-शैल बालिका रघुपति-पद-परम प्रेम, ‘तुलसी’ यह अचल नेम देहु ह्वै प्रसन्न पाहि प्रणत-पालिका
Man Madhav Ko Neku Niharhi
हरि पद प्रीति मन माधव को नेकु निहारहि सुनु सठ, सदा रंक के धन ज्यों, छिन छिन प्रभुहिं सँभारहि सोभा-सील ज्ञान-गुन-मंदिर, सुन्दर परम उदारहि रंजन संत, अखिल अघ गंजन, भंजन विषय विकारहि जो बिनु जोग जग्य व्रत, संयम, गयो चहै भव पारहि तो जनि ‘तुलसिदास’ निसि वासर, हरिपद कमल बिसारहि
Jay Jay Jay Giriraj Kishori
पार्वती वन्दना जय-जय-जय गिरिराजकिशोरी जय महेश मुखचंद्र चकोरी जय गजवदन षडानन माता जग-जननी दामिनि-द्युति दाता नहिं तव आदि मध्य अवसाना अमित प्रभाव वेद नहीं जाना भव-भय-विभव पराभव कारिणि विश्व-विमोहिनि स्वबस विहारिणि