Jay Jay Brajraj Kunwar

श्रीकृष्ण चरित्र जय जय ब्रजराज कुँवर, शोभित सुखकारी मोर-मुकुट मस्तक पर, पीताम्बर धारी मुरलीधर श्याम वर्ण, जमुना तट चारी संग ग्वाल गोपीजन, ब्रजजन बलिहारी मुनि-मन-हर मंद हँसन, गुंज माल धारी नृत्यत नटवर सुवेश, सोहत बनवारी हरत मदन-मद अशेष, राधा मनहारी 

Dekha Dekha Yashoda Tera Lal

श्रीकृष्ण माधुरी देखा देखा यशोदा तेरा लाल मैंने देखा कस्तूरी का तिलक बिराजे, उर पचरंगी माल मोर पखा सिर ऊपर सोहे, घूँघर वारे बाल पीताम्बर को कटि में धारे, काँधे कारी शाल कानों में तो कुण्डल सोहे और लालिमा गाल चरणों में नुपूर छमकाये, चले लटकनी चाल यमुना तट पे रास रचाये, नाचे दे-दे ताल […]

Pujan Ko Giriraj Goverdhan

अन्नकूट उत्सव पूजन को गिरिराज गोवर्धन चले नंद के लाल कर श्रंगार सभी ब्रज नारी और गये सब ग्वाल नंद यशोदा भी अति उत्सुक ले पूजा का थाल गये पूजने गोवर्धन गिरि, तिलक लगाये भाल भाँति भाँति के व्यंजन एवं फल भी विविध रसाल एक ओर मनमोहन ने तब कर ली देह विशाल गिरिवर रूप […]

Bhagwan Krishna Ke Charno Main

स्तुति भगवान् कृष्ण के चरणों में, मैं करूँ वंदना बारंबार जो प्राणि-मात्र के आश्रय हैं, भक्तों के कष्ट वही हरतें ब्रह्मादि देव के भी स्वामी, मैं करूँ प्रार्थना बारंबार जो आदि अजन्मा भी यद्यपि हैं, पर विविध रूप धारण करते पृथ्वी पर लीलाएँ करते, मैं करूँ स्तवन बारंबार जब संकट से हम घिर जाते, करूणानिधि […]

Main Krishna Nam Ki Chudiyan Pahanu

भरतार श्याम मैं कृष्ण नाम की चुड़ियाँ पहनूँ, आँख में कजरा डार गले में मोतियन माला पहनूँ, उनके हित श्रंगार ऐसे जन को नहीं वरूँ मैं, जो कि जिये दिन चार मेरे तो भरतार श्याम हैं, उन सँग करूँ विहार करूँ निछावर जीवन सारा, वे ही प्राणाधार स्वत्व मिटे, कुछ रहे न मेरा, माया मोह […]

Shyam Tumhara Rup Anutha

अनूठा रूप श्याम तुम्हारा रूप अनूठा, कोटि अनंग लजाये चंचल चितवन कमल-नयन से, प्रेम सरस बरसाये स्निग्ध कपोल अरुणिमा जिनकी, दर्पण सम दमकाये मोर-मुकुट शीश पर शोभित, केश राशि लहराये कमनीय अंग किशोर मूर्ति के, दर्शन मन सरसाये पान करे गोपीजन प्रति पल, फिर भी नहीं अघाये ऐसा अद्भुत ज्योति-पुंज जो, मन का तिमिर भगाये […]

Udho Hot Kaha Samjhaye

हरि की याद ऊधौ! होत कहा समुझाये चित्त चुभी वह साँवरी मूरति, जोग कहाँ तुम लाए पा लागौं कहियो हरिजू सों दरस देहु इक बेर ‘सूरदास’ प्रभु सों विनती करि यहै सुनैयो टेर

Gopiyan Aai Nand Ke Dware

होली गोपियाँ आईं नन्द के द्वारे खेलत फाग बसंत पंचमी, पहुँचे नंद-दुलारे कोऊ अगर कुमकुमा केसर, काहू के मुख पर डारे कोऊ अबीर गुलाल उड़ावे, आनँद तन न सँभारे मोहन को गोपी निरखत सब, नीके बदन निहारे चितवनि में सबही बस कीनी, मनमोहन चित चोरे ताल मृदंग मुरली दफ बाजे, झाँझर की झन्कारे ‘सूरदास’ प्रभु […]

Jagahu Lal Gwal Sab Terat

प्रभाती जागहु लाल ग्वाल सब टेरत कबहुँ पीत-पट डारि बदन पर, कबहुँ उघारि जननि तन हेरत सोवत में जागत मनमोहन, बात सुनत सब की अवसेरत बारम्बार जगावति माता, लोचन खोलि पलक पुनि गेरत पुनि कहि उठी जसोदा मैया, उठहु कान्ह रवि किरनि उजेरत ‘सूर’ स्याम हँसि चितै मातु-मुख, पट कर लै, पुनि-पुनि मुख फेरत

Dou Bhaiya Jewat Ma Aage

भोजन दोउ भैया जैंवत माँ आगै पुनि-पुनि लै दधि खात कन्हाई, और जननि पे माँगे अति मीठो दधि आज जमायौ, बलदाऊ तुम लेहु देखौ धौं दधि-स्वाद आपु लै, ता पाछे मोहि देहु बल-मोहन दोऊ जेंवत रूचि सौं, सुख लूटति नँदरानी ‘सूर’ श्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी