Ka Mere Man Mah Base Vrindawan Var Dham

अभिलाषा कब मेरे मन महँ बसै, वृन्दावन वर धाम कब रसना निशि दिन रटै, सुखते श्यामा श्याम कब इन नयननिते लखूँ, वृन्दावन की धूरि जो रसिकनि की परम प्रिय, पावन जीवन मूरि कब लोटूँ अति विकल ह्वै, ब्रजरज महँ हरषाय करूँ कीच कब धूरि की, नयननि नीर बहाय कब रसिकनि के पैर परि, रोऊँ ह्वैके […]

Fag Khelan Ko Aaye Shyam

होली फाग खेलन को आये श्याम मुग्ध हुई ब्रज-वनिता निरखत, माधव रूप ललाम पीत वसन भूषण अंगो पर , सचमुच सबहिं सुहाये तभी श्याम के संग सखा सब, अबीर-गुलाल उड़ाये सखियों ने घेरा मोहन को, केसर रंग लगाया चौवा चंदन और अरगजा, भर भर मूठ चलाया रीझ रहीं सखियाँ मोहन पर, मन भर आनंद आया […]

Shyam Ne Kaha Thagori Dari

श्याम की ठगौरी स्याम ने कहा ठगोरी डारी बिसरे धरम-करम, कुल-परिजन, लोक साज गई सारी गई हुती मैं जमुना तट पर, जल भरिबे लै मटकी देखत स्याम कमल-दल-लोचन, दृष्टि तुरत ही अटकी मो तन मुरि मुसुकाए मनसिज, मोहन नंद-किसोर तेहि छिन चोरि लियौ मन सरबस, परम चतुर चित-चोर  

Ari Sakhi Rath Baithe Giridhari

रथ-यात्रा अरी सखि रथ बैठे गिरिधारी राजत परम मनोहर सब अँग, संग राधिका प्यारी मणि माणिक हीरा कुन्दन से, डाँडी चार सँवारी अति सुन्दर रथ रच्यो विधाता, चमक दमक भी भारी हंस गति से चलत अश्व है, उपजत है छबि न्यारी विहरत वृन्दावन बीथिन में, ‘परमानन्द’ बलिहारी

Ghutno Ke Bal Chale Kanhaiya

बालकृष्ण घुटनों के बल चले कन्हैया बार-बार किलकारी मारे, आनन्दित हो मैया नवनीत कर में लिये कन्हाई, मुँह पर दही लगाये मणिमय आँगन में परछार्इं, निरख निरख हर्षाये तभी गोपियाँ गोदी लेकर, उन्हें चूमना चाहें बालकृष्ण की अतिप्रिय लीला, अपना भाग्य सराहें

Jasoda Tero Bhagya Kahyo Na Jay

यशोदा का भाग्य जसोदा तेरो भाग्य कह्यो ना जाय जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ, सो ही प्रगटी आय शिव, नारद, सनकादिक, महामुनि मिलवे करत उपाय जे नंदलाल धूरि धूसर वपु, रहत कंठ लपटाय रतन जटित पौढ़ाय पालने, वदन देखि मुसकाय बलिहारी मैं जाऊँ लाल पे, ‘परमानंद’ जस गाय  

Dhara Par Pragte Palanhar

श्रीकृष्ण प्राकट्य धरा पर प्रगटे पालनहार, बिरज में आनँद छायो रे पीत पताका घर घर फहरे, मंगल गान हर्ष की लहरें गूँजे पायल की झंकार, विरज में आनँद छायो रे नर-नारी नाचे गोकुल में, मात यशोदा बलि बलि जाए द्वारे भीर गोप-गोपिन की, बिरज में आनंद छायो रे दान दे रहे नंद जसोदा, माणिक मोती […]

Pratham Gou Charan Ko Din Aaj

गौचारण प्रथम गो-चारन को दिन आज प्रातःकाल उठि जसुमति मैया, सुमन सजाये साज विविध भाँति बाजे बाजत है, रह्यो घोष अति गाज गोपीजन सब गीत मनोहर, गाये तज सब काज लरिका सकल संग संकर्षण, वेणु बजाय रसाल धेनू चराये बाल-कृष्ण-प्रभु, नाम धर्यो गोपाल  

Bhaj Govindam Bhaj Govindam

भजनगोविन्दम् भज गोविन्दम्, भज गोविन्दम्, गोविन्दम् भज मूढ़मते मैं, तूँ कौन कहाँ से आया, कौन पिता, पत्नी और जाया माया मोह ने जाल बिछाया, जिसमें फँसकर तूँ भरमाया खेल, पढ़ाई, यौवन-मद में, गई उम्र चिन्ता अब मन में खो न समय संपत्ति संचय में, त्याग लोभ, तोष कर मन में विद्या का अभिमान त्याग रे, […]

Main Bhul Gai Sakhi Apne Ko

गोपी की प्रीति मैं भूल गई सखि अपने को नित्य मिलन का अनुभव करती, जब से देखा मोहन को प्रात: संध्या दिवस रात का, भान नहीं रहता मुझको सपने में भी वही दिखता, मन की बात कहूँ किसको कैसी अनुपम मूर्ति श्याम की, कैसा मनहर उसका रूप नयन हुए गोपी के गीले, छाया मन सौन्दर्य […]