Tan Ki Dhan Ki Kon Badhai

अन्त काल तन की धन की कौन बड़ाई, देखत नैनों में माटी मिलाई अपने खातिर महल बनाया, आपहि जाकर जंगल सोया हाड़ जले जैसे लकरि की मोली, बाल जले जैसे घास की पोली कहत ‘ कबीर’ सुनो मेरे गुनिया, आप मरे पिछे डूबी रे दुनिया

Ram Nam Ke Bina Jagat Main

राम आसरा राम नाम के बिना जगत में, कोई नहीं भाई महल बनाओ बाग लगाओ, वेष हो जैसे छैला इस पिजड़े से प्राण निकल गये, रह गया चाम अकेला तीन मस तक तिरिया रोवे, छठे मास तक भाई जनम जनम तो माता रोवे, कर गयो आस पराई पाँच पचास बराती आये, ले चल ले चल […]

Nand Ghar Aaj Bhayo Anand

श्री कृष्ण प्राकट्य नन्द घर आज भयो आनन्द मातु यशोदा लाला जायो, ज्यों पूनों ने चन्द गोपी गोप गाय गायक-गन, सब हिय सरसिज वृन्द नन्दनँदन रवि उदित भये हिय, विकसे पंकज वृन्द वसुधा मुदित समीर बहत वर, शीतल मन्द सुगन्ध गरजत मन्द मन्द घन नभ महँ, प्रकटे आनँद कन्द माया बन्धु सिन्धु सब सुख के, […]

Kou Re Jaiyo Madhupuri Aur

यशोदा का संदेश कोउ रे! जइयो मधुपूरि ओर वहाँ बसत है मेरो लाला सुन्दर नवल किशोर कहियो वाहि अरे नटखट! क्यों आत न इते बहोर मैया बिलखि बिलखि जीवति है, तकत न वाकी ओर माखन सो तेरो हिय लाला, काहे भयो कठोर मैं तो नित तेरो मग जोऊँ, कान्ह बहोर बहोर अपुनो ही सुत करि […]

Mere Pyare Sanware

प्राणाधार मेरे प्यारे साँवरे! तुम कित रहे दुराय आवहु मेरे लाड़िले! प्रान रहे अकुलाय प्रिया प्रानधन लाड़िले, अटके तुम में प्रान आवन की आसा लगी, देत न इत उत जान ललित लड़ैती स्वामिनी! सुषमा की आगार तू ही पिय के प्रीति की, एकमात्र आधार आजा मेरे लाड़िले! नयननि रखिहों तोय ऐसी कर करुना कबहुँ, फेर […]

Jugal Chavi Harati Hiye Ki Pir

युगल छवि जुगल छवि हरति हिये की पीर कीर्ति-कुँअरि ब्रजराम-कुँअर बर ठाढ़े जमुना-तीर कल्पवृच्छ की छाँह सुशीतल, मंद-सुगंध समीर मुरली अधर, कमल कर कोमल, पीत-नील-द्युति चीर मुक्ता-मनिमाला, पन्ना गल, सुमन मनोहर हार भूषन विविध रत्न राजत तन, बेंदी-तिलक उदार श्रवननि सुचि कुण्डल झुर झूमक, झलकत ज्योति अपार मुसुकनि मधुर अमिय दृग-चितवनि, बरसत सुधा सिंगार

Jo Bhaje Hari Ko Sada

हरि-भजन जो भजे हरि को सदा, सोई परमपद पायेगा देह के माला तिलक अरुछाप नहीं कुछ काम के प्रेम भक्ति के बिना नहीं, नाथ के मन भायेगा दिल के दर्पण को सफा कर, दूर कर अभिमान को शरण जा गुरु के चरण में, तो प्रभु मिल जायेगा छोड़ दुनियाँ के मजे सब, बैठकर एकांत में […]

Ajahu Na Nikase Pran Kathor

आतुरता अजहुँ न निकसे प्राण कठोर दरसन बिना बहुत दिन बीते, सुन्दर प्रीतम मोर चार प्रहर, चारों युग बीते, भई निराशा घोर अवधि गई अजहूँ नहिं आये, कतहुँ रहे चितचोर कबहुँ नैन, मन -भर नहिं देखे, चितवन तुमरी ओर ‘दादू’ ऐसे आतुर विरहिणि, जैसे चाँद चकोर

Ab Man Krishna Krishna Kahi Lije

श्रीकृष्ण स्मरण अब मन कृष्ण कृष्ण कहि लीजे कृष्ण कृष्ण कहि कहिके जग में, साधु समागम कीजे कृष्ण नाम की माला लेके, कृष्ण नाम चित दीजे कृष्ण नाम अमृत रस रसना, तृषावंत हो पीजै कृष्ण नाम है सार जगत् में, कृष्ण हेतु तन छीजे ‘रूपकुँवरि’ धरि ध्यान कृष्ण को, कृष्ण कृष्ण कहि लीजे 

Aaj Sakhi Rath Baithe Nandlal

रथ-यात्रा आज सखी, रथ बैठे नंदलाल अति विचित्र पहिरे पट झीनो,उर सोहत वन-माल वामभाग वृषभानु-नंदिनी, पहिर कसूंभी सारी तैसोई घन उमड्यो चहुँ दिशि, गरजत है अति भारी सुन्दर रथ मणि-जटित मनोहर, अनुपम है सब साज चपल तुरंग चलत धरणी पे, रह्यो घोष सब गाज ताल पखावज बीन बाँसुरी, बाजत परम रसाल ‘गोविंददास’ प्रभु पे बरखत, […]