Bujhat Shyam Kon Tu Gori
राधा कृष्ण भेंट बूझत श्याम कौन तूँ गोरी कहाँ रहति काकी है बेटी, देखी नहीं कहूँ ब्रज खोरी काहे को हम ब्रजतन आवति, खेलति रहति आपनी पोरी सुनति रहति श्रवननि नंद ढोटा, करत रहत माखन दधि-चोरी तुम्हरो कहा चोरि हम लैहैं, खेलन चलो संग मिलि जोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, बातनि भुरइ राधिका भोरी
Main Jogi Jas Gaya Bala
शिव द्वारा कृष्ण दर्शन मैं जोगी जस गाया बाला, मैं जोगी जस गाया तेरे सुत के दरसन कारन, मैं काशी तज आया पारब्रह्म पूरन पुरुषोत्तम, सकल लोक जाकी माया अलख निरंजन देखन कारन, सकल लोक फिर आया जो भावे सो पावो बाबा, करो आपुनी दाया देउ असीस मेरे बालक को, अविचल बाढ़े काया ना लेहौं […]
Mohi Kahat Jubati Sab Chor
चित चोर मोहिं कहति जुवति सब चोर खेलत कहूँ रहौं मैं बाहिर, चितै रहतिं सब मेरी ओर बोलि लेहिं भीतर घर अपने, मुख चूमति भर लेति अँकोर माखन हेरि देति अपने कर, कई विधि सौं करति निहोर जहाँ मोहिं देखति तँहै टेरति, मैं नहिं जात दुहाई तोर ‘सूर’ स्याम हँसि कंठ लगायौ, वे तरुनी कहँ […]
Va Patpit Ki Fahrani
प्रतिज्ञा पालन वा पटपीत की फहरानि कर धरि चक्र चरन की धावनि, नहिं बिसरति वह बानि रथ तें उतरि अवनि आतुर ह्वै, कच रज की लपटानि मानौं सिंह सैल ते निकस्यौ, महामत्त गज जानि जिन गुपाल मेरो प्रन राख्यौ, मेटि वेद की कानि सोई ‘सूर’ सहाय हमारे, निकट भये हैं आनि
Soi Rasna Jo Hari Gun Gawe
हरि भक्ति सोइ रसना जो हरि गुन गावै नैनन की छबि यहै चतुरता, जो मुकुन्द-मकरन्दहिं ध्यावै निरमल चित तो सोई साँचो, कृष्ण बिना जिहिं और न भावै श्रवननि की जु यहै अधिकाई, सुनि हरि-कथा सुधारस पावै कर तेई जो स्यामहिं सैवै, चरननि चलि वृन्दावन जावै ‘सूरदास’ जैयै बलि ताके, जों हरि जू सों प्रीति बढ़ावै
Hari Hari Hari Hari Sumiran Karo
नाम स्मरण हरि हरि हरि हरि सुमिरन करौ, हरि-चरनार-विंद उर धरौ हरि की कथा होइ जब जहाँ, गंगा हूँ चलि आवै तहाँ जमुना सिन्धु सरस्वति आवैं, गोदावरी विलम्ब न लावैं सर्व-तीर्थ को वासा तहाँ, ‘सूर’ हरि-कथा होवै जहाँ
Ghar Aavo Pritam Pyara
विरह व्यथा घर आओ प्रीतम प्यारा, अब आओ प्रीतम प्यारा है तुम बिन सब जग खारा, घर आओ प्रीतम प्यारा तन मन धन सब भेंट करूँ, व भजन करूँ मैं थारा तुम गुणवंत बड़े नटनागर, मोमें औगुण न्यारा मैं निगुणी कुछ गुण तो नाहीं, तुम में ही गुण सारा ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, […]
Tori Savari Surat Nandlala Ji
साँवरी सूरत तोरी साँवरी सुरत नन्दलालाजी जमुना के तीरे धेनु चरावत, काली कामली वालाजी मोर-मुकुट पीताम्बर शोभे, कुण्डल झलकत लालाजी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, भक्तन के प्रति पालाजी
Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des
विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस
Mai Ri Main To Liyo Govind Mol
अनमोल गोविंद माई री मैं तो लियो री गोविन्दो मोल कोई कहै छाने, कोई कहै चोरी, लियो री बजंताँ ढोल कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अखियाँ खोल कोई कहै महँगो कोई कहै सस्तो, लियो री अमोलक मोल तन का गहणाँ सब ही दीना, दियो री बाजूबँद खोल ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, […]