Dhuri Bhare Ati Shobhit Shyam Ju

श्री बालकृष्ण माधुर्य धूरि-भरे अति शोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी खेलत-खात फिरै अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछौटी वा छबि को रसखानि बिलोकत, बारत काम कलानिधि कोटी काग के भाग कहा कहिए हरि, हाथ सों लै गयो माखन रोटी शेष, महेश, गनेश, दिनेस, सुरेशहु जाहि निरन्तर गावैं जाहि अनादि अखण्ड अछेद, अभेद सुवेद […]

Neel Kamal Mukh Shobhit

श्रीकृष्ण माधुर्य नील-कमल मुख शोभित, अलकें घुँघराली कौस्तुभ मणि-माल कण्ठ, शोभित वनमाली पीताम्बर श्याम-अंग ऐसो सखि सोहे मानो घन-श्याम बीच, चपला मन मोहे माथे पर मोर मुकुट, चन्द्रिका बिराजे भाल तिलक केसर की अनुपम छवि छाजे कुण्डल की झलक चपल लग रही निराली त्रिभुवन में गूँज रही, वंशी धुन आली पूनम की रात मृदुल,पूर्ण चन्द्रिका […]

Prabhu Ji Tum Chandan Ham Paani

दास्य भक्ति प्रभुजी! तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी प्रभुजी! तुम घन वन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा प्रभुजी! तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरे दिन राती प्रभुजी! तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहि मिलत सुहागा प्रभुजी! तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करे ‘रैदासा’  

Banshi Sadharan Vadya Nahi

मोहन की मुरली बंशी साधारण वाद्य नहीं प्राणों व साँसों से बजता, अनुपम ऐसा है वाद्य यही जब बंसी बजाते श्रीकृष्ण, आनन्द उसी में भर देते पशु पक्षी भी तब स्थिर हों, सुनने को कान लगा देते अश्चर्य चकित ऋषि-मुनि होते, तब भंग समाधि हो जाती रोमांच गोपियों को होता, घर से तत्काल निकल पड़ती […]

Bhaj Govindam Bhaj Govindam

भजनगोविन्दम् भज गोविन्दम्, भज गोविन्दम्, गोविन्दम् भज मूढ़मते मैं, तूँ कौन कहाँ से आया, कौन पिता, पत्नी और जाया माया मोह ने जाल बिछाया, जिसमें फँसकर तूँ भरमाया खेल, पढ़ाई, यौवन-मद में, गई उम्र चिन्ता अब मन में खो न समय संपत्ति संचय में, त्याग लोभ, तोष कर मन में विद्या का अभिमान त्याग रे, […]

Mhimamai Devi Savitri

सावित्री देवी स्तवन महिमामयी देवी सावित्री, अनुकम्पा हम पर करें आप हे मूल प्रकृति, ब्रह्मा की प्रिया, हरलो कृपया सब ताप पाप तेजोमय विग्रह वाली हो, मंगल मयी मोक्षदायिनी हो भक्तों पे अनुग्रह करती हो, सम्पत्ति तथा सुख देती हो हे! प्रीतिदायिनी हों प्रसन्न, सुखदात्री मेरे क्लेश हरो मैं दास तुम्हारा हूँ विपन्न, आनन्द स्वरूपिणि […]

Main Sunata Hun Din Raat Prabhu

सौन्दर्य निधि श्याम मैं सुनता हूँ दिन रात प्रभु, तुम हो अनंत सौन्दर्य धाम यह रूप-माधुरी कैसी है, एक झलक दिखादो मुझे श्याम सुंदर स्वरूप प्रिय बातों ने, चित चोरा था गोपी-जन का सो तीव्र लालसा मुझको है, वह रूप देख लूँ मोहन का मैं हूँ अधीर दिन रात श्याम, कब दर्शन दोगे मुझे आप […]

Raghav Sarayu Tat Par Viharen

सरयू तट राघव सरयू तट पर विहरें भरत लक्ष्मण और शत्रुघन, सब आनन्द भरें पुष्पों की सुन्दर मालाएँ, सबही कण्ठ धरें मन्द मन्द मुसकान अधर पे, शोभा चित्त हरे कल कल ध्वनि सरयू के जल की, सबके मन हरषे देव-देवियाँ सभी गगन से, सुमन बहुत बरषे  

Var De Veena Vadini Var De

सरस्वती स्तुति वर दे वीणावादिनि! वर दे! प्रिय स्वतंत्र रव अमृत मंत्र, नव भारत में भर दे काट अंध उर के बंधन-स्तर, बहा जननि, ज्योर्तिमय निर्झर कलुष-भेद-तम हर, प्रकाश भर, जगमग जग कर दे नव गति, नव लय, ताल-छंद, नव, नवल कंठ, नव जलद मंद्र रव नव नभ के नव विहग वृन्द को नव पर, […]

Shivshankar Ka Jo Bhajan Kare

आशुतोष शिव शिवशंकर का जो भजन करें, मनचाहा वर प्रभु से पाते वे आशुतोष औढरदानी, भक्तों के संकट को हरते जप में अर्जुन थे लीन जहाँ पर, अस्त्र-शस्त्र जब पाने को दुर्योधन ने निशिचर भेजा, अर्जुन का वध करने को मायावी शूकर रूप धरे, शीघ्र ही वहाँ पर जब आया शिव ने किरात का रूप […]