Radha Ju Mo Pe Aaj Dharo
श्री राधाजी की कृपा राधाजू! मो पै आजु ढरौ निज, निज प्रीतम की पद-रज-रति, मोय प्रदान करौ विषम विषय रस की सब आशा, ममता तुरत हरौ भुक्ति मुक्ति की सकल कामना, सत्वर नास करौ निज चाकर चाकर की सेवा मोहि प्रदान करौ राखौ सदा निकुंज निभृत में, झाड़ूदार बरौ
Laga Le Prem Prabhu Se Tu
शरणागति लगाले प्रेम प्रभु से तू, अगर जो मोक्ष चाहता है रचा उसने जगत् सारा, पालता वो ही सबको है वही मालिक है दुनियाँ का, पिता माता विधाता है नहीं पाताल के अंदर, नहीं आकाश के ऊपर सदा वो पास है तेरे, ढूँढने क्यों तू जाता है पड़े जो शरण में उसकी, छोड़ दुनियाँ के […]
Anurag Mai Vardan Mai
भारत माता अनुरागमयी वरदानमयी भारत जननी भारत माता! मस्तक पर शोभित शतदल सा, यह हिमगिरि है शोभा पाता नीलम-मोती की माला सा, गंगा-यमुना जल लहराता वात्सल्यमयी तू स्नेहमयी, भारत जननी भारत माता सूरज की सुनहरी किरणों से गूंथी लेकर के मालाएँ सौंदर्यमयी श्रृंगारमयी, भारत जननी भारत माता तेरे पग पूजन को आतीं, सागर लहरों की […]
Aasakti Jagat Ki Nashta Kare
सत्संग की महिमा आसक्ति जगत् की नष्ट करें, खुल जाता है मुक्ति का द्वार स्वाध्याय, सांख्य व योग, त्याग, प्रभु को प्रसन्न उतने न करें व्रत, यज्ञ, वेद या तीर्थाटन, यम, नियम, प्रभु को वश न करें तीनों युग में सत्संग सुलभ, जो करे प्रेम से नर नारी यह साधन श्रेष्ठ सुगम निश्चित, दे पूर्ण […]
Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par
नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार
Kya Yagya Ka Uddeshya Ho
यज्ञ क्या यज्ञ का उद्देश्य हो दम्भ अथवा अहं हो नहीं, शुद्ध सेवा भाव हो हो समर्पण भावना, अरु विश्व का कल्याण हो इन्द्रिय-संयम भी रहे, अवशिष्ट भोगे यज्ञ में शाकल्य का मंत्रों सहित, हो हवन वैदिक यज्ञ में संयम रूपी अग्नि में, इन्द्रिय-सुखों का हवन हो अध्यात्म की दृष्टि से केवल, शास्त्र का स्वाध्याय […]
Chalo Man Kalindi Ke Tir
कालिंदी कूल चलो मन कालिन्दी के तीर दरशन मिले श्यामसुन्दर को, हरे हिये की पीर तरु कदम्ब के नीचे ठाड़े, कूजत कोयल कीर अधर धरे मुरली नट-नागर, ग्वाल बाल की भीर मोर-मुकुट बैजंती माला, श्रवणन् लटकत हीर मन्द मन्द मुस्कान मनोहर, कटि सुनहरो चीर रास विलास करे मनमोहन, मन्थर बहे समीर शोभित है श्री राधा-माधव, […]
Chod Jhamela Jhuthe Jag Ka Kah Gaye Das Kabir
मिथ्या संसार छोड़ झमेला झूठे जग का, कह गये दास कबीर उड़ जायेगा साँस का पंछी, शाश्वत नहीं शरीर तुलसीदास के सीता राघव उनसे मन कर प्रीति रामचरित से सीख रे मनवा, मर्यादा की रीति बालकृष्ण की लीलाओं का धरो हृदय में ध्यान सूरदास से भक्ति उमड़े करो उन्हीं का गान मीरा के प्रभु गिरिधर […]
Jane Kya Jadu Bhara Hua Shri Krishna Aapki Gita Main
गीताजी की महिमा जाने क्या जादू भरा हुआ, श्रीकृष्ण आपकी गीता में जब शोक मोह से घिर जाते, गीता संदेश स्मरण करते, उद्धार हमारा ही इसमें, भगवान आपकी गीता में निगमागम का सब सार भरा, संकट से यह उबार लेती नित अमृत का हम पान करें, हे श्री कृष्ण आपकी गीता में है कर्म, भक्ति […]
Jo Nishchal Bhakti Kare
शिव आराधना जो निश्छल भक्ति करे उसको, भोले शम्भू अपना लेते वे धारण करें रजोगुण को, और सृष्टि की रचना करते होकर के युक्त सत्त्वगुण से, वे ही धारण पोषण करते माया त्रिगुणों से परे प्रभु, शुद्ध स्वरूप स्थित होते ब्रह्मा, विष्णु, अरु, रुद्र, रूप, सृष्टि, पालन,लय वहीं करें हैं पूर्ण ब्रह्म प्रभु आशुतोष, अपराध […]