अन्नकूट
देखे सब हरि भोग लगात
सहस्र भुजा धर उत जेमत है, इन गोपन सों करत है बात
ललिता कहत देख हो राधा, जो तेरे मन बात समात
धन्य सबहिं गोकुल के वासी, संग रहत गोकुल के नाथ
जेमत देख नंद सुख दीनों, अति प्रसन्न गोकुल नर-नारी
‘सूरदास’ स्वामी सुख-सागर, गुण-आगर नागर दे तारी
Category: Annakoot
Dou Bhaiya Jewat Ma Aage
भोजन
दोउ भैया जैंवत माँ आगै
पुनि-पुनि लै दधि खात कन्हाई, और जननि पे माँगे
अति मीठो दधि आज जमायौ, बलदाऊ तुम लेहु
देखौ धौं दधि-स्वाद आपु लै, ता पाछे मोहि देहु
बल-मोहन दोऊ जेंवत रूचि सौं, सुख लूटति नँदरानी
‘सूर’ श्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी
Yah Lila Sab Karat Kanhai
अन्नकूट
यह लीला सब करत कन्हाई
जेंमत है गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीति लगाई
इत गोपिनसों कहत जिमावो, उत आपुन जेंमत मन लाई
आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहुँ दिसि तें सोभा अधिकाई
अंबर चढ़े देव गण देखत, जय ध्वनि करत सुमन बरखाई
‘सूर’ श्याम सबके सुखकारी, भक्त हेतु अवतार सदाई
Shyam Kahat Puja Giri Mani
अन्नकूट
श्याम कहत पूजा गिरि मानी
जो तुम भाव-भक्ति सों अरप्यो, देवराज सब जानी
तुम देखत भोजन सब कीनो, अब तुम मोहि प्रत्याने
बड़ो देव गिरिराज गोवर्धन, इनहि रहो तुम माने
सेवा भली करी तुम मेरी, देव कही यह बानी
‘सूर’ नंद मुख चुंबत हरि को, यह पूजा तुम ठानी
Thali Bhar Kar Lai Main Khicado
नैवेद्य अर्पण
थाली भरकर लाई मैं खीचड़ो, ऊपर घी की वाटकी
जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावै बेटी जाट की
बापू म्हारो गाँव गयो है, न जाणे कद आवेगो
बाट देख बैठ्या रहणे से, भूखो ही रह जावेगो
आज जिमाऊँ थने खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ की
जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावें बेटी जाट की
बार-बार पड़दो मैं करती, बार-बार मैं खोलती
कईयाँ कोनी जीमे मोहन, कड़वी कड़वी बोलती
तूँ जीमें जद ही मैं जीमूँ, बात न कोई आँट की
जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावे बेटी जाट की
पड़दो भूल गई साँवरिया, पड़दो फेर लगायोजी
काँबलिया की ओट बैठकर , श्याम खीचड़ो खायोजी
साँचो प्रेम प्रभु में होय तो, मूरति बोले काठ की
जीमो प्यारा कृष्ण-कन्हाई, जिमावे बेटी जाट की
The To Aarogo Ji Madan Gopal
दुग्ध अर्पण
थे तो आरोगोजी मदनगोपाल! कटोरो ल्याई दूध को भर्यो
दूधाजी दीनी भोलावण, जद में आई चाल
धोली गाय को दूध गरम कर, ल्याई मिसरी घाल
कईयाँ रूठ गया हो म्हारा नाथ! कटोरो….
कद ताई रूठ्या रोगा थे बोलो जी महाराज
दूध-कटोरो धर्यो सामने, पीवणरी काँई लाज
भूखा मरता तो चिप जासी थारा चिकणा गाल! कटोरो…
श्याम सलोना दूध आरोगो, साँची बात सुनाऊँ
बिना पियाँ यो दूध-कटोरो, पाछो ले नहीं जाऊँ
देस्यूँ साँवरिया चरणा में देही त्याग! कटोरो
करुण भरी विनती सुण प्रभुजी, लियो कटोरो हाथ
गट-गट दूध पिवण ने लाग्या, भक्त जणारा नाथ
थे तो राखो हो भगताँ री जाती लाज! कटोरो…
Pujan Ko Giriraj Goverdhan
अन्नकूट उत्सव
पूजन को गिरिराज गोवर्धन चले नंद के लाल
कर श्रंगार सभी ब्रज नारी और गये सब ग्वाल
नंद यशोदा भी अति उत्सुक ले पूजा का थाल
गये पूजने गोवर्धन गिरि, तिलक लगाये भाल
भाँति भाँति के व्यंजन एवं फल भी विविध रसाल
एक ओर मनमोहन ने तब कर ली देह विशाल
गिरिवर रूप धरे आरोगत, व्यंजन प्रभु तत्काल
गायें गीत गोपियाँ मिलकर और बजे करताल
Braj Ko Bacha Lo Mohan
गोवर्धन लीला
ब्रज को बचा लो मोहन, रक्षा करो हमारी
हो कु्रद्ध शची के पति ने, वर्षा करी है भारी
आँधी भी चल रही है, ओले बरस रहे हैं
पानी से भर गया ब्रज, सब कष्ट से घिरे हैं
गिरिराज को उखाड़ा, ले हाथ पर हरि ने
उसको उठाये रक्खा, दिन सात तक उन्होंने
ब्रज हो गया सुरक्षित, पानी उतर गया था
तब पूर्ववत प्रभु ने, गिरिराज को रखा था
श्रीकृष्ण को लगाया, हृदय से था सभी ने
और देवता लगे सब, पुष्पों की वर्षा करने
Rachyo Annakut Vidhivat Hai
अन्नकूट
रच्यौ अन्नकूट विधिवत् है ब्रज में पाक बनाये
गोप गोपियाँ ग्वाल-बाल, मन मोद बढ़ाये
मीठे और चरपरे व्यंजन, मन ललचाये
गिनती हो नहीं सके, देख सब ही चकराये
तुलसी दल की पुष्पमाल गोवर्धन पहने
चंदन केशर तो ललाट पे, शोभित गहने
मोरपंख का मुकट, गले में तो वनमाला
गोवर्धन ये नहीं, किन्तु है नंद के लाला
भेद यही, जयकार करें-गिरिराज हमारे
एकमात्र ब्रज वासिन के ये ही रखवारे
हाथ जोड़ नंदराय, दीन व्है ध्यान धरत है
प्रत्यक्ष हो गिरिराज, प्रेम से भोज करत है