Jag Uthe Bhagya Bharat Ke
श्री राधा प्राकट्य जग उठे भाग्य भारत के, परम आनन्द है छाया श्याम की प्रियतमा राधा, प्रकट का काल शुभ आया बज उठीं देव-दुन्दुभियाँ, गान करने लगे किन्नर सुर लगे पुष्प बरसाने, अमित आनन्द उर में भर चले सब ग्वाल नर नारी, वृद्ध बालक सुसज्जित हो सभी मन में प्रफुल्लित हो, देवियाँ देव हर्षित हो […]
Jagahu Jagahu Nand Kumar
प्रभाती जागहु जागहु नंद-कुमार रवि बहु चढ्यो रैन सब निघटी, उचटे सकल किवार ग्वाल-बाल सब खड़े द्वार पै, उठ मेरे प्रानअधार घर घर गोपी दही बिलोवै, कर कंकन झंकार साँझ दुहां तुम कह्यो गाईकौं, तामें होति अबार ‘सूरदास’ प्रभु उठे तुरत ही, लीला अगम अपार
Tulsi Maharani Ko Pranam
तुलसी महिमा तुलसी महारानी को प्रणाम पटरानी ये ही श्री हरि की, जो अद्वितीय लोकाभिराम शालीग्राम के शीश चढ़े वे, हरि अर्चन इनसे ही हो सुख शांति स्वास्थ्य भी दे हमको, जब श्रद्धा से जल सिंचन हो जो भोग लगे नारायण को, तुलसी के बिना नहीं स्वीकारे महिमा अपार तुलसीजी की, माँ भक्ति दान दो, […]
Devi Doshon Ka Daman Kare
देवी चरित्र देवी दोषों का दमन करे करती कृपा सदा भक्तों पर, उनके कष्ट हरे नष्ट करें दुष्टो को माता, कर त्रिशूल धरे मूल प्रकृति से सृष्टि का सृजन, ये भी आप करे चन्द्रवदनी माँ दिव्याभूषण, वस्त्र धरे रति लाजे वे ही तो हिमाचल की पुत्री जो, शिव वामांग विराजै महिषासुर निशुम्भ शुम्भ का भी, […]
Aaj Sakhi Rath Baithe Nandlal
रथ-यात्रा आज सखी, रथ बैठे नंदलाल अति विचित्र पहिरे पट झीनो,उर सोहत वन-माल वामभाग वृषभानु-नंदिनी, पहिर कसूंभी सारी तैसोई घन उमड्यो चहुँ दिशि, गरजत है अति भारी सुन्दर रथ मणि-जटित मनोहर, अनुपम है सब साज चपल तुरंग चलत धरणी पे, रह्यो घोष सब गाज ताल पखावज बीन बाँसुरी, बाजत परम रसाल ‘गोविंददास’ प्रभु पे बरखत, […]
Ese Ramdin Hitkari
हितकारी राम ऐसे राम दीन हितकारी अति कोमल करुना निधान बिनु कारन पर-उपकारी साधन हीन दीन निज अघ बस सिला भई मुनि नारी गृहते गवनि परसि पद-पावन घोर सापते तारी अधम जाति शबरी नारी जड़ लोक वेद ते न्यारी जानि प्रीत दै दरस कृपानिधि सोउ रघुनाथ उबारी रिपु को अनुज विभिषन निशिचर, कौन भजन अधिकारी […]
Tu Dayalu Din Ho Tu Dani Ho Bhikhari
शरणागति तू दयालु, दीन हौं, तू दानि, हौं भिखारी हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप – पुंज – हारी नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो मो समान आरत नहिं, आरतहर तोसो ब्रह्म तू, हौं जीव, तू ठाकुर, हौं चेरो तात, मात, गुरु, सखा तू, सब बिधि हितू मेरो तोहि मोहिं नाते अनेक, मानियै जो भावै […]
Suni Sundar Ben Sudharas Sane
सुभाषित सुनि सुन्दर बैन सुधारस-साने, सयानी है जानकी जानी भली तिरछे करि नैन दै सैन तिन्हैं, समुझाई कछु मुसुकाई चली ‘तुलसी’ तेहि अवसर सोहैं सबै, अवलोकति लोचन-लाहु अली अनुराग-तड़ाग में भानु उदै, बिगसी मनी मंजुल कंज-कली
Kaha Kahati Tu Mohi Ri Mai
मनोवेग कहा कहति तू मोहि री माई नंदनँदन मन हर लियो मेरौ, तब तै मोकों कछु न सुहाई अब लौं नहिं जानति मैं को ही, कब तैं तू मेरे ढ़िंग आई कहाँ गेह, कहँ मात पिता हैं, कहाँ सजन गुरुजन कहाँ भाई कैसी लाज कानि है कैसी, कहा कहती ह्वै ह्वै रिसहाई अब तौ ‘सूर’ […]
Jag Me Jiwat Hi Ko Nato
मोह माया जग में जीवत ही को नातो मन बिछुरे तन छार होइगो, कोउ न बात पुछातो मैं मेरो कबहूँ नहिं कीजै, कीजै पंच-सुहातो विषयासक्त रहत निसि –वासर, सुख सियारो दुःख तातो साँच झूँट करि माया जोरी, आपन रूखौ खातो ‘सूरदास’ कछु थिर नहिं रहई, जो आयो सो जातो