Jagahu Lal Gwal Sab Terat
प्रभाती जागहु लाल ग्वाल सब टेरत कबहुँ पीत-पट डारि बदन पर, कबहुँ उघारि जननि तन हेरत सोवत में जागत मनमोहन, बात सुनत सब की अवसेरत बारम्बार जगावति माता, लोचन खोलि पलक पुनि गेरत पुनि कहि उठी जसोदा मैया, उठहु कान्ह रवि किरनि उजेरत ‘सूर’ स्याम हँसि चितै मातु-मुख, पट कर लै, पुनि-पुनि मुख फेरत
Vandaniya Tulsi Maharani
तुलसी अर्चना वंदनीय तुलसी महारानी, अद्भुत महिमा शास्त्र बखानी नित्य धाम गोलोक से आई, कल्पवृक्ष सम महिमा गाई श्याम वर्ण शोभा सुखदाई, पृथ्वी मूल्यवान निधि पाई श्री हरि सेवा पूजन हेतु, तुलसीजी का बाग लगाये प्रेत पिशाच भूत भग जाये, यज्ञ, दान, व्रत का फल पाये प्रभु पूजा नैवेद्य आदि में, तुलसी दल अनिवार्य धराये […]
Maa Kshma Karo Aparadh
काली देवी स्तवन माँ क्षमा करो अपराध, शरण मोहि लीजे हे काली! दुर्गा दुर्गति दु:ख विनाशिनि, खड्ग चक्र वाली हे परमेश्वरि, हे कामेश्वरि, विविध रूप वाली अद्भुत शोभा श्रीअंगों की विद्युत-उजियारी हेम-गिरि पे वास तिहारो, चन्द्रमुकुट धारी सर्जन, पालन, प्रलयकारिणी, दिव्य शक्तिशाली दैत्य विदारिणि, ब्रह्मस्वरूपा श्याम वर्णवाली कार्तिकेय, गणपति की जननी, अगणित गुणवाली यश, मंगल, […]
Aado Devaki Garbha Jananam
श्रीमद्भागवत् आदौ देवकि देव गर्भ-जननम्, गोपी गृहे वर्धनम् माया मोहित जीव-ताप हरणं, गोवर्द्धनो धारणम् कंसच्छेदन कौरवादि हननं, कुन्ती-सुता पालनम् एतद् श्रीमद्भागवत् पुराण कथितं, श्रीकृष्णलीलामृतम्
Aiso Ko Udar Jagmahi
राम की उदारता ऐसो को उदार जग माहीं बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर, राम सरिस कोउ नाहीं जो गति जोग बिराग जतन करि, नहिं पावत मुनि ग्यानी सो गति देत गीध सबरी कहँ, प्रभु न बहुत जिय जानी जो संपत्ति दस सीस अरपि करि रावन सिव पहँ लीन्हीं सोई संपदा विभीषन कहँअति, सकुच सहित […]
Purte Nikasi Raghuvir Vadhu
वन में सीता राम पुरतें निकसी रघुवीर वधू धरि धीर दए मग में डग द्वै झलकीं भरि भाल कनीं जल कीं, पुट सूखि गए मधुराधर वै फिरि बूझति है, चलनो अब केतिक पर्ण कुटी करिहौ कित ह्वै तिय की लखि आतुरता पिय की अखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै
Ishwar Ans Jiv Avinasi
सुभाषित ईश्वर अंस जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुखरासी उलटा नाम जपत जगजाना, वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना जहाँ सुमति तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहँ विपति निदाना जा पर कृपा राम की होई, तापर कृपा करहिं सब कोई जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया जिन हरि –भक्ति ह्रदय नहिं आनी, जीवत शव […]
Kaha Pardesi Ko Patiyaro
वियोग कहापरदेसी कौ पतियारौ प्रीति बढ़ाई चले मधुबन कौ, बिछुरि दियौ दुख भारौ ज्यों जल-हीन मीन तरफत त्यौं, व्याकुल प्राण हमारौ ‘सूरदास’ प्रभु गति या ब्रज की, दीपक बिनु अँधियारौ
Jadyapi Man Samujhawat Log
स्मृति जद्यपि मन समुझावत लोग सूल होत नवनीत देख मेरे, मोहन के मुख जोग प्रातः काल उठि माखन-रोटी, को बिन माँगे दैहै को है मेरे कुँवर कान्ह कौं, छिन-छिन अंकन लैहै कहियौ पथिक जाइ घर आवहु, राम कृष्ण दौउ भैया ‘सूर’ श्याम किन होइ दुखारी, जिनके मो सी मैया
Tiharo Krishna Kahat Ka Jat
चेतावनी तिहारौ कृष्ण कहत का जात बिछुड़ैं मिलै कबहुँ नहिं कोई, ज्यों तरुवर के पात पित्त वात कफ कण्ठ विरोधे, रसना टूटै बात प्रान लिये जैम जात मूढ़-मति! देखत जननी तात जम के फंद परै नहि जब लगि, क्यों न चरन लपटात कहत ‘सूर’ विरथा यह देही, ऐतौ क्यों इतरात