Patit Pawan Virad Tumharo
विनय पतित पावन बिरद तुम्हारो, कौनों नाम धर्यौ मैं तो दीन दुखी अति दुर्बल, द्वारै रटत पर्यौ चारि पदारथ दिये सुदामहि, तंदुल भेंट धर्यौ द्रुपद-सुता की तुम पत राखी, अंबर दान कर्यौ संदीपन को सुत प्रभु दीने, विद्या पाठ कर्यौ ‘सूर’ की बिरियाँ निठुर भये प्रभु, मेरौ कछु न सर्यौ
Madhukar Shyam Hamre Chor
चित-चोर मधुकर श्याम हमारे चोर मन हर लियो माधुरी मूरत, निरख नयन की कोर पकरे हुते आन उर अंतर, प्रेम प्रीति के जोर गये छुड़ाय तोर सब बंधन, दै गये हँसन अकोर उचक परों जागत निसि बीते, तारे गिनत भई भोर ‘सूरदास’ प्रभु हत मन मेरो, सरबस लै गयो नंदकिशोर
Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo
माखन चोरी मैया मोरी मैं नहिं माखन खायौ भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहि पठायौ चार पहर वंशीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयौ मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायौ ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायौ तू जननी मन मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायौ जिय तेरे कछु भेद […]
Rani Tero Chir Jivo Gopal
चिरजीवो गोपाल रानी तेरो चिरजीवो गोपाल बेगि बढ्यो बड़ी होय बिरध लट, महरी मनोहर बाल, उपजि पर्यो यह कूखि भाग्यबल, समुद्र सीप जैसे लाल सब गोकुल के प्राण जीवनधर, बैरन के उर साल ‘सूर’ किते जिय सुख पावत है, देखत श्याम तमाल राज अंजन लागो मेरी अँखियन, मिटे दोष जंजाल
Sikhavati Chalat Jashoda Maiya
माँ का स्नेह सिखवति चलत जसोदा मैया घबराये ले पकर हाथ को, डगमगात धरती धरे पैया बलदाऊ को टेरि बुलावति, इहिं आँगन खेलो दोउ भैया कबहुक कुल देवता मनावति, चिर जियो मेरो कुँवर कन्हैया कबहुँक ठाड़ी वदन निहारत, मनमोहन की लेत बलैया ‘सूरदास’ प्रभु सब सुखदाता, अति अनंद विलसत नंदरैया
Hari Aawat Gaini Ke Pache
गो – चारण हरि आवत गाइनि के पाछे मोर-मुकुट मकराकृति कुंडल, नैन बिसाल कमल तैं आछे मुरली अधर धरन सीखत हैं, वनमाला पीताम्बर काछे ग्वाल-बाल सब बरन-बरन के, कोटि मदन की छबि किए पाछे पहुँचे आइ स्याम ब्रजपुर में, धरहिं चले मोहन-बल आछे ‘सूरदास’ प्रभु दोउ जननि मिलिं, लेति बलाइ बोलि मुख बाँछे
Koi Kahiyo Re Prabhu Aawan Ki
विरह व्यथा कोई कहियौ रे प्रभु आवन की, आवन की मन भावन की आप न आवै, लिख नहिं भेजै, बान पड़ी ललचावन की ए दोऊ नैन कह्यो नहिं माने, नदियाँ बहे जैसे सावन की कहा करूँ कछु नहिं बस मेरो, पाँख नहीं उड़ जावन की ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, चेरी भई तेरे दामन […]
Tera Koi Nahi Rokanhar
मग्न मीरा तेरा कोइ नहिं रोकनहार, मगन होय मीराँ चली लाज सरम कुल की मरजादा, सिर से दूर करी मानापमान दोऊ घर पटके, निकसी हूँ ज्ञान गली ऊँची अटरिया लाल किवड़िया, निरगुण सेज बिछी पचरंगी झालर सुभ सोहे, फूलन फूल कली बाजूबंद कठूला सोहे, माँग सिंदुर भरी पूजन थाल हाथ में लीन्हा, सोभा अधिक भली […]
Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des
विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस
Mukhada Ni Maya Lagi Re
मोहन का सौंदर्य (गुजराती) मुखड़ानी माया लागी रे, मोहन प्यारा मुखड़ूँ मैं जोयुँ तारूँ, सब जग थयुँ खारूँ, मन मारूँ रह्युँ न्यारूँ रे संसारी, नुँ सुख एवुँ, झाँझवाना नीर जेवुँ, तेने तुच्छ करी फरिये रे ‘मीराँबाई’ बलिहारी, आशा मने एक तारी, हवे हुँ तो बड़भागी रे