Ka Mere Man Mah Base Vrindawan Var Dham

अभिलाषा कब मेरे मन महँ बसै, वृन्दावन वर धाम कब रसना निशि दिन रटै, सुखते श्यामा श्याम कब इन नयननिते लखूँ, वृन्दावन की धूरि जो रसिकनि की परम प्रिय, पावन जीवन मूरि कब लोटूँ अति विकल ह्वै, ब्रजरज महँ हरषाय करूँ कीच कब धूरि की, नयननि नीर बहाय कब रसिकनि के पैर परि, रोऊँ ह्वैके […]

Mere Pyare Sanware

प्राणाधार मेरे प्यारे साँवरे! तुम कित रहे दुराय आवहु मेरे लाड़िले! प्रान रहे अकुलाय प्रिया प्रानधन लाड़िले, अटके तुम में प्रान आवन की आसा लगी, देत न इत उत जान ललित लड़ैती स्वामिनी! सुषमा की आगार तू ही पिय के प्रीति की, एकमात्र आधार आजा मेरे लाड़िले! नयननि रखिहों तोय ऐसी कर करुना कबहुँ, फेर […]