Kaha Sukh Braj Ko So Sansar

ब्रज-महिमा कहाँ सुख ब्रज कौ सौ संसार कहाँ सुखद बंसी-वट जमुना, यह मन सदा विचार कहाँ बन धाम कहाँ राधा सँग, कहाँ संग ब्रज वाम कहाँ विरह सुख बिन गोपिन सँग, ‘सूर’ स्याम मन साम

Kahiyo Syam So Samjhai

श्याम की याद कहियौ स्याम सौ समझाइ वह नातौ नहि मानत मोहन, मनौ तुम्हारी धाइ बारहिं बार एकलौ लागी, गहे पथिक के पाँइ ‘सूरदास’ या जननी को जिय, राखै बदन दिखाइ

Tune Hira So Janam Gawayo

भजन महिमा तूँने हीरा सो जनम गँवायो, भजन बिना बावरे ना संता के शरणे आयो, ना तूँ हरि गुण गायो पचि पचि मर्यो बैल की नाईं, सोय रह्यो उठ खायो यो संसार हात बनियों की, सब जग सौदे आयो चतुर तो माल चौगुना कीना, मूरख मूल गवाँयो यो संसार माया को लोभी, ममता महल चितायो […]

Ram Bhaja So Hi Jag Main Jita

भजन महिमा राम भजा सोहि जग में जीता हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी, पढ़े भागवत गीता हृदय शुद्ध कीन्हों नहीं तेने, बातों में दिन बीता ज्ञान देव की पूजा कीन्ही, हरि सो किया न प्रीता धन यौवन तो यूँ ही जायगा, अंत समय में रीता कहे ‘कबीर’ काल यों मारे, जैसे हरिण को चीता

Vipin So Aawat Bhawan Kanhai

वन वापसी विपिन सों आवत भवन कन्हाई संग गोप गौअन की टोली और सुघड़ बल भाई गोधूली बेला अति पावन, ब्रज रज वदन सुहाई नील कमल पै जनु केसर की, सोहत अति सुखराई साँझ समय यह आवन हरि की, निरखहिं लोग लुगाई सो छबि निरखन को हमरे हूँ, नयना तरसहिं माई

Jo Bit Gaya So Bit Gaya

हरि भजन जो बीत गया सो बीत गया, पल भर भी वापस नहीं आये बहुमूल्य समय धन से बढ़कर, आदर उसका हम कर पाये यह समय काल है वास्तव में, सबकी जो प्रतिपल उम्र हरे जो करे समय का सदुपयोग तो, मानो उस पर विजय करे घर बार धनार्जन कार्यों से अवकाश निकाले नित्य आप […]

Tu So Raha Ab Tak Musafir

चेतावनी तूँ सो रहा अब तक मुसाफिर, जागता है क्यों नहीं था व्यस्त कारोबार में,अब भोग में खोया कहीं मोहवश जैसे पतिंगा, दीपक की लौ में जल मरे मतिमान तूँ घर बार में फिर, प्रीति इतनी क्यों करे लालच में पड़ता कीर ज्यों, पिंजरे में उसका हाल ज्यों फिर भी उलझता जा रहा, संसार माया […]

Main Apno Man Hari So Joryo

मोहन से प्रीति मैं अपनो मन हरि सों जोर्यो, हरि सों जोरि सबनसो तोर्यो नाच नच्यों तब घूँघट कैसो, लोक-लाज डर पटक पिछोर्यो आगे पाछे सोच मिट गयो, मन-विकार मटुका को फोर्यो कहनो थो सो कह्यो सखी री, काह भयो कोऊ मुख मोर्यो नवल लाल गिरिधरन पिया संग, प्रेम रंग में यह तन बोर्यो ‘परमानंद’ […]

Re Man Ram So Kar Preet

श्री राम भजो रे मन राम सों कर प्रीत श्रवण गोविंद गुण सुनो, अरु गा तू रसना गीत साधु-संगत, हरि स्मरण से होय पतित पुनीत काल-सर्प सिर पे मँडराये, मुख पसारे भीत आजकल में तोहि ग्रसिहै, समझ राखौ चीत कहे ‘नानक’ राम भजले, जात अवसर बीत