विरह व्यथा
स्याम बिना उनये ये बदरा
आज श्याम सपने में देखे, भरि आए नैन ढुरक गयो कजरा
चंचल चपल अतिही चित-चोरा, निसि जागत मैका भयो पगोरा
‘सूरदास’ प्रभु कबहि मिलोगे, तजि गये गोकुल मिटि गयो झगरा

2 Responses

  1. बिल्कुल सही-सटीक लिप्यांतरण के लिए साधुवाद!

  2. बिल्कुल सही-सटीक लिप्यांतरण के लिए साधुवाद!

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