सूर्यनारायण आरती
जय सूर्यदेव कश्यप-नन्दन, हम बारम्बार करे वन्दन
‘तमसो-मा-ज्योतिर्गमय’ प्रभो, सब रोग भगाने वारे हो
आरूढ़ सप्त अश्वों के रथ, राजत किरीट केयूरवान्
प्रभु तेजरूप कर चक्र पद्म, त्रिभुवन के तुम्ही उजारे हो
रविमण्डल बिच पद्मासन पर, साकार ब्रह्म हे नारायण
गल रत्नहार कुण्डल भूषित, सावित्री राजदुलारे हो
जड़ चेतन के तुम स्वामी हो, हे दिनमणि अंशुमान सविता
हे महातपा वर्षा करते, जगती के तुम्ही सहारे हो
कर्मों के साक्षी विश्वबोध, अज्ञान, मोह को हर लीजै
दीर्घायु, स्वास्थ्य, प्रतिभा दीजै, भव-ताप निवारण-हारे हो

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