Nainan Nirkhi Syam Swarup

विराट स्वरूप नैनन निरखि स्याम-स्वरूप रह्यौ घट-घट व्यापि सोई, जोति-रूप अनूप चरन सातों लोक जाके, सीस है आकास सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, पावक, ‘सूर’ तासु प्रकास

Baso Mere Nainan Me Nandlal

मोहिनी मूर्ति बसो मोरे नैनन में नंदलाल मोहनी मूरति, साँवरी सूरति, नैणा बने बिसाल अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती माल छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल ‘मीराँ’ प्रभु संतन सुखदाई, भगत-बछल गोपाल

Sajanwa Nainan Mere Tumhari Aur

हरि दर्शन सजनवा नैनन मेरे तुमरी ओर विरह कमण्डल हाथ लिये हैं, वैरागी दो नैन दरस लालसा लाभ मिले तो, छके रहे दिन रैन विरह भुजंगम डस गया तन को, मन्तर माने न सीख फिर-फिर माँगत ‘कबीर’ है, तुम दरशन की भीख