Kou Ya Kanha Ko Samujhawe

नटखट कन्हैया
कोउ या कान्हा को समुझावै
कैसो यह बेटो जसुमति को, बहुत ही धूम मचावै
हम जब जायँ जमुन जल भरिबे घर में यह घुस जावै
संग सखा मण्डली को लै यह, गोरस सबहिं लुटावै
छींके धरी कमोरी को सखि, लकुटी सो ढुरकावै
आपु खाय अरु धरती पर, गोरस की कीच बनावै
जब हम जल ले चलहिं जमुन सों, यह काँकरी चलावै
फोर गगरिया बहिना हमरे, सूखे वसन भिंगावै
जित देखें दीखत तित ही यह, कैसो अचरज आवै
कैसी री माया मोहन की, ऊधम ही अति भावै

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *