राधा के श्याम
नेंक ठहरि जा श्याम! बात एक सुनि जा मेरी
दौर्यो जावै कहाँ, दीठि चंचल अति तोरी
ब्रज में मच्यो चवाउ, बात फैली घर-घर में
कीरति रानी लली धँसी है, तेरे उर में
निज नयननि निरख्यो न कछु, सुन्यो सुनायो ही कह्यो
गोरी भोरी छोहरी, को चेरो तू बनि गयो

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