ठिठोली
स्याम, तोरी मुरली नेक बजाऊँ
जोइ-जोइ तान भरो मुरली में, सोइ सोइ गाय सुनाऊँ
हमरी बिंदिया तुमही लगाओ, मैं सिर मुकुट धराऊँ
हमरे भूषण तुम सब पहिरौ, मैं तुम्हरे सब पाऊँ
तुमरे सिर माखन की मटकी, मैं मिलि ग्वाल लुटाऊँ
तुम दधि बेचन जाओ वृन्दावन, मैं मग रोकन आऊँ
मानिनी होकर मान करो तुम, मैं तोहे आन मनाऊँ
‘सूर’ स्याम, तुम बनो राधिका, मैं नँदलाल कहाऊँ