Pashu Hinsa Ka Ho Gaya Ant
भगवान बुद्ध पशु-हिंसा का हो गया अन्त, भगवान बुद्ध अवतरित हुए लख यज्ञ कर्म में पशु-वध को, अन्याय घोर प्रभु द्रवित हुए वे कृपा सिन्धु करुणानिधि थे, वैराग्यवान् जो बुद्ध हुए राजा शुद्धोधन की रानी, मायादेवी से जन्म लिया सोचा पशु का वध क्रूर कर्म, जड़ता को तत्पर दूर किया पशु-हिंसा द्वारा यज्ञों से, हो […]
Pawan Mand Sugandh Shital
श्री बद्रीनाथ स्तवन पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मन्दिर शोभितम् नित निकट गंगा बहति निर्मल, श्रीबद्रीनाथ विश्वम्भरम् शेष सुमिरन करत निशिदिन, ध्यान धरत महेश्वरम् श्री वेद, ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् इन्द्र, चन्द्र, कुबेर, दिनकर, धूप दीप निवेदितम् सिद्ध मुनिजन करत जय जय, श्रीबद्रीनाथ विश्वम्भरम् शक्ति, गौरी, गणेश, शारद, नारद मुनि उच्चारणम् योग ध्यान […]
Patit Pawani Narmade
नर्मदा वंदन पतित पावनि नर्मदे, भव-सिन्धु से माँ तार दे जो यश बखाने आपका, आगम, निगम, सुर, शारदे फोड़कर पाताल, तुम बह्ती धुआँ की धार दे है नाव मेरी भँवर में, अब पुण्य की पतवार दे बज रहे नूपुर छमाछम, ज्यों बँधे हो पाँव में मंद कल-कल गुँजता, स्वर पंथ के हर गाँव में सतपुड़ा […]
Pakari Lehun Sab Jasumati Ko
होली पकरि लेहु सब जसुमति को, लाल चटक यापे रंग डारौ करि रहयो छेड़खानी कबसे, यापे कोऊ न बरजन वारो अरी सखी! हौं तो अलबेली, खेलत फाग में परी अकेली काहु की माने नाहिं तनिक हू, करि रह्यो मोसों ही अठखेली होरी के मिस करै धमाल अरी सखि जातै लेहु छुड़ाय पकरि लेहु झटपट नन्दकुमार, […]
Nain Bhar Dekhon Nand Kumar
श्रीकृष्ण प्राकट्य नैन भर देखौं नंदकुमार जसुमति कोख चन्द्रमा प्रकट्यो, जो ब्रज को उजियार हरद दूब अक्षत दधि कुमकुम मंडित सब घर द्वार पूरो चौक विविध रंगो से, गाओ मंगलाचार चहुँ वेद-ध्वनि करत मुनि जन, होए हर्ष अपार पुण्य-पुंज परिणाम साँवरो, सकल सिद्धि दातार गोप-वधू आनन्दित निरखै, सुंदरता को सार दास ‘चतुर्भुज’ प्रभु सुख सागर […]
Naitik Aachar Ho Jivan Main
मर्यादा नैतिक आचार हो जीवन में सम्माननीय वह व्यक्ति जो मर्यादित जीवन ही जीये सार्थक जीना तो उसका ही परहित के जिसने कार्य किये हमको शरीर जो प्राप्त हुआ, वरदान प्रभु से मिला यही पालन हो सत्य अहिंसा का, हरि नाम स्मरण आवश्यक ही जहाँ प्राणिमात्र प्रति प्रेम रहे, है धन्य धन्य व्यक्ति ऐसा भोगों […]
Neel Kamal Mukh Shobhit
श्रीकृष्ण माधुर्य नील-कमल मुख शोभित, अलकें घुँघराली कौस्तुभ मणि-माल कण्ठ, शोभित वनमाली पीताम्बर श्याम-अंग ऐसो सखि सोहे मानो घन-श्याम बीच, चपला मन मोहे माथे पर मोर मुकुट, चन्द्रिका बिराजे भाल तिलक केसर की अनुपम छवि छाजे कुण्डल की झलक चपल लग रही निराली त्रिभुवन में गूँज रही, वंशी धुन आली पूनम की रात मृदुल,पूर्ण चन्द्रिका […]
Nishthur Bane Ho Kaise
विरह वेदना निष्ठुर बने हो कैसे, चित्तचोर हे बिहारी चित्तवन तुम्हारी बाँकी, सर्वस्व तुम्ही पे वारी सूरत तेरी सुहानी, नैनों में वह समाई हम से सहा न जाये, ऐसा वियोग भारी मुरली की धुन सुना दो, रस प्यार का बहा दो चन्दा सा मुख दिखा दो, अनुपम छबि तुम्हारी वन वन भटक रही है, तुमको […]
Nishkam Karma Se Shanti Mile
निष्काम कर्म निष्काम कर्म से शान्ति मिले जीवन में चाहों के कारण, केवल अशांति मन छायेगी सुख शांति सुलभ निश्चित, संतृप्ति भाव मन में होगी सम्मान प्राप्ति का भाव रहे, तो कुण्ठाएँ पैदा होगी संयम बरते इच्छाओं पर, मन में न निराशा तब होगी स्वाभाविक जो भी कर्म करें, फल की इच्छा न रखें मन […]
Nishchint Huve Baithe Na Raho
प्रबोधन निश्चिंत हुए बैठे न रहो शाश्वत जीवन यहाँ किसका है, पैदा होए वे मरते भी दिन कभी एक से नहीं रहे, इसका विचार तुम करो अभी जब जन्म दिवस आता है तो, खुशियाँ सब लोग मनाते हैं कम वर्ष हो गये जीवन के, समझे जो नहीं पछताते हैं