Param Dham Saket Ayodhya

श्री अयोध्या धाम परम धाम साकेत अयोध्या, सुख सरसावनि हरन सकल सन्ताप, जगत के दुःख नसावनि सरयू को शुभ नीर, पीर सबई हरि लेवै हियकूँ शीतल करै अन्त में, प्रभु पद देवै करें धाम मँह बास जे, ते निश्चत तरि जायँगे कामी सब अघ मेंटि कें, धाम प्रभाव दिखायँगे

Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo

शरणागति तुम बिन जीवन भार भयो! कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो  

Re Man Krishna Nam Jap Le

श्री कृष्ण स्मरण रे मन कृष्ण नाम जप ले भटक रहा क्यों इधर उधर तू, कान्ह शरण गह ले जनम मरण का चक्कर इससे, क्यों न मुक्त हो जाये यह संसार स्वप्न के जैसा, फिर भी क्यों भरमाये जिनको तू अपना है कहता, कोई भी नहीं तेरा मनमोहन को हृदय बिठाले, चला चली जग फेरा

Madhuri Murali Adhar Dhare

मुरली का जादू माधुरी मुरली अधर धरैं बैठे मदनगुपाल मनोहर सुंदर कदँब तरैं इत उत अमित ब्रजबधू ठाढ़ी, विविध विनोद करैं गाय मयूर मधुप रस माते नहीं समाधि टरैं झाँकी अति बाँकी ब्रजसुत की, कलुष कलेश हरैं बसत नयन मन नित्य निरंतर, नव नव रति संचरैं

Nath Ne Narsingh Rup Banaya

नरसिंह अवतार नाथ ने नरसिंह रूप बनाया, भक्त प्रहृलाद बचाया खम्भ फाड़ कर प्रगट भये हरि, सब को ही भरमाया आधा रूप लिया है नर का, आधा सिंह धराया हिरणाकशिपु को पकड़ धरा पर, नख से फाड़ गिराया गर्जन सुनकर ब्रह्माजी अरु सभी देवता आया हाथ जोड़ सब स्तुति करके, शांत स्वरूप कराया घट घट […]

Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par

नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार 

Sharnagat Palak Param Prabho

प्रार्थना शरणागत पालक परम प्रभो, हमको एक आस तुम्हारी है तुम्हरे सम दूजा और नहीं, कोई दीनन को हितकारी है सुधि लेत सदा सब जीवों की, अतिशय करुणा उर धारी है प्रतिपाल करो बिन ही बदले, अस कौन पिता महतारी है बिसराय तुम्हें सुख चाहत जो, वह तो नादान अनारी है ‘परतापनारायण’ तो तुम्हरे, पद-पंकज […]

Mangal Diwas Chathi Ko Aayo

उत्सव मंगल दिवस छठी को आयो आनन्दित नंदराय जसोदा, मानों निर्धन धन को पायो न्हवा कान्ह को जसुमति मैया, कुल देवी के चरण परायो विविध भाँति के व्यंजन धर के, देवी को भलिभाँति मनायो सब ब्रज नारी बधावन आई, बालकृष्ण को तिलक करायो जय जयकार होत गोकुल में, ‘परमानंद’ हरषि जस गायो  

Jau Kahan Taji Charan Tumhare

रामाश्रय जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे काको नाम पतित पावन जग, केहि अति दीन पियारे कौनहुँ देव बड़ाइ विरद हित, हठि हठि अधम उधारे खग मृग व्याध, पषान, विटप जड़यवन कवन सुर तारे देव दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब माया-विवश बिचारे तिनके हाथ दास ‘तुलसी’ प्रभु, कहा अपुनपौ हारे

Mamta Tu N Gai Mere Man Te

वृद्ध अवस्था ममता तू न गई मेरे मन तें पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें श्रवण वचन न सुनत काहू के, बल गये सब इन्द्रिन तें टूटे दाँत वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें भाई बंधु सब परम पियारे, नारि निकारत घर […]