Jo Rahe Badalta Jagat Vahi
परिवर्ती जगत् जो रहे बदलता जगत वही रह सकता इक सा कभी न ये, जो समझे शांति भी मिले यहीं जो चाहे कि यह नहीं बदले, उन लोगों को रोना पड़ता हम नहीं हटेगें कैसे भी, विपदा में निश्चित वह फँसता जो अपने मन में धार लिया,हम डटे रहेंगे उस पर ही वे भूल गये […]
Sabse Prem Karo Man Pyare
शरणागति सबसे प्रेम करो मन प्यारे, कोई जाति या वंश द्वेष शत्रुता हो न किसी से, सब ही प्रभु के अंश प्राणों में प्रभु शक्ति न ऐसी,करूँ तुम्हारा ध्यान जड़ता भर दो इस जीवन में, बचे ने कुछ भी ज्ञान मुझसे बड़ा न पापी कोई, मैंने पाप छिपाये प्रायश्चित कर पाऊँ कैसे, समझ नहीं कुछ […]
Pitu Matu Sahayak Swami Sakha
प्रार्थना पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुमही एक नाथ हमारे हो जिनके कछु और अधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो प्रतिपाल करो सगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो भूले हैं हम तुम को, तुम तो, हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो शुभ, शान्ति-निकेतन, प्रेमनिधे, मन-मंदिर के उजियारे हो उपकारन को कछु अंत नहीं, […]
Prabhu Ji Main Jagat Dekh Bharmaya
भ्रम की दुनिया प्रभुजी, मैं जगत् देख भरमाया किया अनुग्रह आप ही ने तो तब तो मनुज योनी में आया भूल गया उपकार किन्तु मैं, किया सदा मन भाया घट-घट वासी आप ही स्वामी, तथ्य समझ में आया तेरी मेरी करके फिर भी, यूँ ही समय बिताया वैभव देख दूसरों का मन मेरा भी ललचाया […]
Budhapa Bairi Tu Kyon Kare Takor
वृद्धा अवस्था बुढ़ापा बैरी, तूँ क्यों करे टकोर यौवन में जो साथ रहे, वे स्नेही बने कठोर जीर्ण हो गया अब तन सारा, रोग व दर्द सताते गई शक्ति बोलो कुछ भी तो, ध्यान कोई ना देते चेत चेत रे मनवा अब तो, छोड़ सभी भोगों को राम-कृष्ण का भजन किये बिन, ठोर नहीं हैं […]
Yah Jiwan Kitna Sundar Hai
मानव जीवन यह जीवन कितना सुन्दर है जो सदुपयोग ना कर पाये, फिर तो पाया क्या जीवन में खाया पीया अरु भोग किया, अन्तर न रहा नर पशुओं में जो सोच समझने की शक्ति, वरदान रूप में मिली हमें उद्देश्य पूर्ण जीवन जीते, सुर दुर्लभ जीवन मिला हमें संस्कार साथ में ही जाते, इसका कुछ […]
Vrandavan Ki Mahima Apaar
वृन्दावन महिमा वृन्दावन की महिमा अपार, ऋषि मुनि देव सब गाते हैं यहाँ फल फूलों से लदे वृक्ष, है विपुल वनस्पति और घास यह गोप गोपियों गौओं का प्यारा नैसर्गिक सुख निवास अपने मुख से श्रीकृष्ण यहाँ, बंशी में भरते मीठा स्वर तो देव देवियाँ नर नारी, आलाप सुनें तन्मय होकर सब गोपीजन को संग […]
Satogun Jivan Main Apnayen
सतोगुण सतोगुण जीवन में अपनायें रजो, तमो गुण कहीं मार्ग में, नहीं हमें भटकाये श्रद्धा, सेवा, सद्गुण को ही हम आदर्श बनायें हो सहिष्णुता, इन्द्रिय-निग्रह, मार्ग सुगम हो जाये अनुशीलन हो सद्ग्रन्थों का, सत्संग में रुचि आये वृद्धि सत्व की होए तो ही, धर्म कर्म मन भाये सद्बुद्धि दें, प्रभु कृपा कर, अचल शांति सुख […]
Pragat Bhai Sobha Tribhuwan Ki
राधा प्राकट्य प्रगट भई सोभा त्रिभुवन की, श्रीवृषभानु गोप के आई अद्भुत रूप देखि ब्रजबनिता, रीझि – रीझि के लेत बलाई नहिं कमला न शची, रति, रंभा, उपमा उर न समाई जा हित प्रगट भए ब्रजभूषन, धन्य पिता, धनि माई जुग-जुग राज करौ दोऊ जन, इत तुम, उत नँदराई उनके मनमोहन, इत राधा, ‘सूरदास’ बलि […]
Udho Hamen Na Shyam Viyog
प्रीति की रीति ऊधौ! हमें न श्याम वियोग सदा हृदय में वे ही बसते, अनुपम यह संजोग बाहर भीतर नित्य यहाँ, मनमोहन ही तो छाये बिन सानिध्य श्याम के हम को, कुछ भी नहीं सुहाये तन में, मन में, इस जीवन में, केवल श्याम समाये पल भर भी विलग नहीं वे होते, हमें रोष क्यों […]