Shri Krishna Ka Virah

श्री चैतन्य महाप्रभु श्री कृष्ण का विरह आपको आठों ही प्रहर सताये श्री महाप्रभु चैतन्य वही जो राधा भाव दिखाये राधा कान्ति कलेवर अनुपम, भक्तों के मन भाये रोम रोम में हाव भाव में, गीत कृष्ण के गाये प्रेमावतार महाप्रभु अन्तस में, राधावर छाये ओत प्रोत है कृष्ण-भक्ति से, जन-मन वही लुभाये  

Ganga Ganga Kahe Nitya

गंगा महिमा गंगा गंगा कहें नित्य गंगा जल पीवैं सदा बसै तट निकट, गंग- जल हीतें जीवैं गंगारज तन लाइ, नहावैं गंगा जल महँ बसैं गंगपथ परसि अनिल, बिहरैं जिहिं थल महँ श्री गंगा के नाम तें, कोटि जनम पातक नसहिं भोगे भू पै भोग बहु, अन्त जाहि सुरपुर बसहिं

Chalo Man Shri Vrindavan Dham

राधा कृष्ण चलो मन श्री वृन्दावन धाम किसी कुंज या यमुना-तट पे, मिल जायेंगे श्याम सुन्दर छबिमय मोर-मुकुट में, सातो रंग ललाम वही सुनहरे पीत-वसन में, शोभित शोभा-धाम वनमाला के सुमन सुमन में, सुलभ शुद्ध अनुराग और बाँसुरी की सुर-धुन में, राधा का बस राग सुन्दरियों संग रास रमण में, प्रेम ज्योति अभिराम राधा दीखे […]

Bhagvad Gita Sandesh Amar

श्रीमद्भगवद् गीता भगवद्गीता-संदेश अमर उपहार अनूठा करें ग्रहण, जैसे पुष्पों से सार भ्रमर गीताजी ऐसा क्रान्ति ग्रन्थ, मानव का जीवन सार्थक हो जिस पथ पर गये महाजन वो, हम चलें तभी अभ्युदय हो विपरीत परिस्थिति में जब हम, घिर जायँ न सूझे मार्ग हमें भ्रम दूर करें, निर्देश करें, गीताजी का कोई श्लोक हमें हम […]

Apurva Nratya Hanuman Kare

मारुति-सुत का नृत्य अपूर्व नृत्य हनुमान करें है दिव्य देह, सिन्दूर लेप, करताल करो में चित्त हरें आनन्दित मुख की श्रेष्ठ छटा, श्रीराम नाम का गान करें चरणों में मोहक घुँघरू, दो नयनों से प्रेमाश्रु झरें कटि में शोभित है रक्ताम्बर, अंजनी-सुत हम पर कृपा करें

Prabhu More Avgun Chit N Dharo

समदर्शी प्रभु प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो समदर्शी है नाम तिहारो, चाहो तो पार करो इक लोहा पूजा में राखत, इक घर बधिक परो यह द्विविधा पारस नहिं जानत, कंचन करत खरो इक नदिया इक नार कहावत, मैलो ही नीर भरो जब मिलि के दोउ एक वरण भए, सुरसरि नाम परो एक जीव, एक […]

Deh Dhara Koi Subhi Na Dekha

दुःखी दुनिया देह धरा कोई सुखी न देखा, जो देखा सो दुखिया रे घाट घाट पे सब जग दुखिया, क्या गेही वैरागी रे साँच कहूँ तो कोई न माने, झूट कह्यो नहिं जाई रे आसा तृष्णा सब घट व्यापे, कोई न इनसे सूना रे कहत ‘कबीर’ सभी जग दुखिया, साधु सुखी मन जीता रे

Ham To Ek Hi Kar Ke Mana

आत्म ज्ञान हम तो एक ही कर के माना दोऊ कहै ताके दुविधा है, जिन हरि नाम न जाना एक ही पवन एक ही पानी, आतम सब में समाना एक माटी के लाख घड़े है, एक ही तत्व बखाना माया देख के व्यर्थ भुलाना, काहे करे अभिमाना कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, हम हरि हाथ […]

Prabhu Tera Paar Na Paya

शरणागत प्रभु तेरा पार न पाया तूँ सर्वज्ञ चराचर सब में, तू चैतन्य समाया प्राणी-मात्र के तन में किस विधि, तू ही तो है छाया जीव कहाँ से आये जाये, कोई समझ न पाया सूर्य चन्द्रमा तारे सब में, ज्योति रूप चमकाया यह सृष्टि कैसी विचित्र है, उसमें मैं भरमाया ‘ब्रह्मानंद’ शरण में तेरी, छोड़ […]

Aaya Sharan Tumhari Prabhu Ji

शरणागति आया शरण तुम्हारी प्रभुजी, रखिये लाज हमारी कनकशिपु ने दिया कष्ट, प्रह्ललाद भक्त को भारी किया दैत्य का अंत तुम्हीं ने, भक्तों के हितकारी ग्रस्त हुआ गजराज ग्राह से, स्तुति करी तुम्हारी आर्तस्तव सुन मुक्त किया, गज को तुमने बनवारी पांचाली की लगा खींचने, जब दुःशासन सारी किया प्रवेश चीर में उसके, होने दी […]