Shyam Sundar Mathura Jayen
मथुरा गमन श्याम सुन्दर मथुरा जायें क्रूर बने अक्रूर, प्राणधन को लेने आये बिलख रही है राधारानी, धैर्य बँधाये कोई आने लगीं याद क्रीड़ाएँ, सुध-बुध सबने खोई प्यारी चितवन, मुख मण्डल को, देख गोपियाँ जीतीं संभावित मोहन वियोग से, कैसी उन पर बीती चित्त चुराया नेह लगाया, वही बिछुड़ जब जाये वाम विधाता हुआ सभी […]
Ve Hain Rohini Sut Ram
श्री बलरामजी वे हैं रोहिनी सुत राम गौर अंग सुरंग लोचन, प्रलय जिन के ताम एक कुंडल स्रवन धारी, द्यौत दरसी ग्राम नील अंबर अंग धारी, स्याम पूरन काम ताल बल इन बच्छ मार्यौ, ब्रह्म पूरन काम ‘सूर’ प्रभु आकरषि, तातैं संकरषन है नाम
Gou Mata Bhi Dudh Pilati
गौ माता गो माता भी दूध पिलाती, जैसे अपनी माता दधि मक्खन अरु घृत भी पाते, कौन भूल यह पाता कृषि कार्य के हेतु हमें यह, नित्य खाद भी देती उपकारों को भूल रहे हम, पोषण गैया करती भारत में गोपाल-कृष्ण ने, पूजा तुमको माता इसी देश में तेरा माता, आज न कोई त्राता कत्ल […]
Bangala Bhala Bana Maharaj
नश्वर देह बंगला भला बना महाराज, जिसमें नारायण बोले पाँच तत्व की र्इंट बनाई, तीन गुणों का गारा छत्तीसों की छत बनाई, चेतन चिनने हारा इस बँगले के दस दरवाजे, बीच पवन का थम्भा आवत जावत कछू ना दीखे, ये ही बड़ा अचम्भा इस बँगले में चौपड़ माँडी, खेले पाँच पचीसा कोर्ई तो बाजी हार […]
Atulit Bal Ke Dham
महावीर वन्दना अतुलित बल के धाम पवनसुत, तेज प्रताप निधान राम जानकी हृदय बिराजै, संकटहर हनुमान अग्रगण्य ज्ञानी अंजनि-सुत, सद्गुण के हो धाम अजर अमर हो सिद्धि प्रदाता, रामदूत अभिराम कंचन वर्ण आपके वपु का, घुँघराले वर केश हाथों में है वज्र, ध्वजा अरु अति विशिष्ट है वेश गमन आपका मन सदृश है, छोह करे […]
Prabhuji Main Picho Kiyo Tumharo
चरणाश्रय प्रभुजी मैं पीछौ कियौ तुम्हारौ तुम तो दीनदयाल कहावत, सकल आपदा टारौ महा कुबुद्धि, कुटिल, अपराधी, औगुन भर लिये भारौ ‘सूर’ क्रूर की यही बीनती, ले चरननि में डारौ
Din Yu Hi Bite Jate Hain Sumiran Kar Le Tu Ram Nam
नाम स्मरण दिन यूँ ही बीते जाते हैं, सुमिरन करले तूँ राम नाम लख चौरासी योनी भटका, तब मानुष के तन को पाया जिन स्वारथ में जीवन खोया, वे अंत समय पछताते हैं अपना जिसको तूँने समझा, वह झूठे जग की है माया क्यों हरि का नाम बीसार दिया, सब जीते जी के नाते हैं […]
Sajanwa Nainan Mere Tumhari Aur
हरि दर्शन सजनवा नैनन मेरे तुमरी ओर विरह कमण्डल हाथ लिये हैं, वैरागी दो नैन दरस लालसा लाभ मिले तो, छके रहे दिन रैन विरह भुजंगम डस गया तन को, मन्तर माने न सीख फिर-फिर माँगत ‘कबीर’ है, तुम दरशन की भीख
Pahchan Le Prabhu Ko
हरि स्मरण पहचान ले प्रभु को, घट-घट में वास जिनका तू याद कर ले उनको, कण कण में भी वही है जिसने तुझे बनाया, संसार है दिखाया चौदह भुवन में सत्ता, उनकी समा रही है विषयों की छोड़ आशा, सब व्यर्थ का तमाशा दिन चार का दिलासा, माया फँसा रही है दुनियाँ से दिल हटा […]
Anand Kand Shri Krishna Chandra
श्रीकृष्ण सौन्दर्य आनन्दकन्द श्री कृष्णचन्द्र, सिर मोर-मुकुट की छवि न्यारी मुसकान मधुर चंचल चितवन, वह रूप विलक्षण मनहारी कटि में स्वर्णिम पीताम्बर है, शोभा अपूर्व अति सुखकारी जो कामकला के सागर हैं, नटनागर यमुना-तट चारी वंशी की मधुर ध्वनि करते, संग में श्री राधा सुकुमारी गोवर्धन धारण की लीला, वर्णनातीत अति प्रियकारी कालियानाग के मस्तक […]