Piya Bin Rahyo Na Jay

विरह व्यथा पिया बिन रह्यो न जाय तन-मन मेरो पिया पर वारूँ, बार-बार बलि जाय निस दिन जोऊँ बाट पिया की, कब रे मिलोगे आय ‘मीराँ’ को प्रभु आस तुम्हारी, लीज्यो कण्ठ लगाय

Manmohan Shyam Hamara

श्याम की पाती मनमोहन श्याम हमारा निर्मल नीरा जमुन को त्याग्यौ, जाय पियौ जल खारा आप तो जाय द्वारका छाए, हमें छाँड़ि माझ धारा लिखि लिखि पाती भेजुँ स्याम कूँ, बाँचौ प्रीतम प्यारा ‘मीराँ’ के प्रभु हरि अविनासी, जीवन प्राण आधारा

Mhane Chakar Rakho Ji

चाकर राखो म्हाने चाकर राखोजी, गिरधारी म्हाने चाकर राखोजी चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ, नित उठ दरसण पास्यूँ वृन्दावन की कुंज गलिन में, थारी लीला गास्यूँ चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमिरण पाऊँ खरची भाव भगति जागीरी पास्यूँ, तीनूँ बाताँ सरसी मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, गल बैजन्ती माला वृन्दावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला हरे-हरे नित […]

Shyam Main To Thare Rang Rati

श्याम से प्रीति स्याम मैं तो थाँरे रँग राती औराँ के पिय परदेस बसत हैं, लिख लिख भेजे पाती मेरा पिया मेरे हिरदे बसत है, याद करूँ दिन राती भगवा चोला पहिर सखीरी, मैं झुरमट रमवा जाती झुरमुट मे मोहिं मोहन मिलिया, उण से नहिं सरमाती और सखी मद पी पी माती, बिन पिये मैं […]

Jiwan Ko Vyartha Ganwaya Hai

चेतावनी जीवन को व्यर्थ गँवाया है मिथ्या माया जाल जगत में, फिर भी क्यों भरमाया है मारी चोंच तो रुई उड़ गई, मन में तूँ पछताया है यह मन बसी मूर्खता कैसी, मोह जाल मन भाया है कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, मनुज जन्म जो पाया है

Main Kase Kahun Koi Mane Nahi

पाप कर्म मैं कासे कहूँ कोई माने नहीं बिन हरि नाम जनम है विरथा, शास्त्र पुराण कही पशु को मार यज्ञ में होमे, निज स्वारथ सब ही इक दिन आय अचानक तुमसे, ले बदला ये ही पाप कर्म कर सुख को चाहे, ये कैसे निबहीं कहे ‘कबीर’ कहूँ मैं जो कछु, मानो ठीक वही

Durga Devi Daya Karahu

श्री दुर्गा स्तुति दुर्गा देवी दया करहु, दुख दुरित नसाओ शक्ति हीन संतान परी माँ! आय जगाओ भये भवानी भीत, आय भय भूत भगाओ खड्ग हाथ महँ देहु, युद्ध को पाठ पढ़ाओ कलि कराल कलुषित करहिँ, करि कल्यान कपर्दिनी मेटो ममता मोह कूँ, महिषासुर मद मर्दिनी

Kahe Aise Bhaye Kathor

निहोरा काहे ऐसे भये कठोर टेरत टेरत भई वयस अब, तक्यो न मेरी ओर कहा करों, कोउ पंथ न दीखत, साधन भी नहिं और पै तुम बिनु मेरे मनमोहन, दीखत और न ठौर काहे अब स्वभाव निज भूले, करहुँ न करुना कोर हूँ मैं दीन भिखारी प्यारे, तुम उदार-सिरमौर

Man Mohak Sab Saj Sajyo Ri

पुष्प सज्जा मन मोहक सब साज सज्यो री फूलमयी यह जुगल जोति लखि, सखियन को मन फूल रह्यो री फूलन के ही मुकुट चन्द्रिका, फूलन ही को पाग फल्यौ री फूलन के ही गजरा कुण्डल, फूलन को ही हार सज्यौ री फूलन के ही कंकण कचुँकि, फूलन को भुजबन्ध बन्धौ री फूलन के ही नूपुर […]

Udho Kahan Sikhvo Yog

मोहन से योग ऊधौ! कहा सिखावौ जोग हमरो नित्य-जोग प्रियतम सौं, होय न पलक बियोग वे ही हमरे मन मति सर्वस, वे ही जीवन प्रान वे ही अंग-अंग में छाये, हमको इसका भान