Prabhu Ke Sharnagat Hua Aaj

शरणागति प्रभु के शरणागत हुआ आज था अहंकार से उपहत मैं, कुछ कर न सका कर्तव्य काज इन्द्रिय-विषयों में रमा रहा, नहीं स्मरण किया श्रीकृष्ण तुम्हें सादर प्रणाम श्रीचरणों में, नहीं भक्त भूलते कभी जिन्हें मैं ऊब गया जग झंझट से, झँझानिल दुष्कर भवसागर शरणागत-पालक आप विभो, हे अमित-शक्ति करुणासागर हे परम पुरुष अन्तर्यामी, करनी […]

Radha Ju Ke Pran Govardhandhari

राधा प्रेमी स्याम राधा जू के प्रान गोवर्धनधारी तरु-तमाल प्रति कनक लतासी, हरि की प्रान राधिका प्यारी मरकत-मणि सम श्याम छबीलो, कंचन-तन-वृषभानु दुलारी ‘सूरदास’ प्रभु प्रीति परस्पर, जोरी भली बनी बनवारी

Jivan Ke Din Char Re Man Karo Punya Ke Kam

नाशवान संसार जीवन के दिन चार रे, मन करो पुण्य के काम पानी का सा बुदबुदा, जो धरा आदमी नाम कौल किया था, भजन करूँगा, आन बसाया धाम हाथी छूटा ठाम से रे, लश्कर करी पुकार दसों द्वार तो बन्द है, निकल गया असवार जैसा पानी ओस का, वैसा बस संसार झिलमिल झिलमिल हो रहा, […]

Guru Charno Me Shish Nava Ke Raghuvar

धनुष-भंग (राजस्थानी) गुरुचरणों में सीस नवा के, रघुवर धनुष उठायोजी बाण चढ़ावत कोई न देख्यो, झटपट तोड़ गिरायोजी तीन लोक अरु भवन चतुर्दश, सबद सुणत थर्रायोजी धरणी डगमग डोलन लागी, शेष नाग चकरायोजी शूरवीर सब धुजण लाग्या, सबको गरब मिटायो जी 

Prabhu Ji Tum Bhakton Ke Hitkari

भक्त-वत्सल भगवान प्रभुजी तुम भक्तों के हितकारी हिरणाकश्यप ने भक्त प्रहलाद को कष्ट दिया जब भारी नरसिंह रूप लिये प्रभु प्रकटें, भक्तों के रखवारी जभी ग्राह ने पकड़ा गज को, आया शरण तुम्हारी सुन गुहार के मुक्त किया गज, भारी विपदा टारी दुष्ट दुःशासन खींच रहा था, द्रुपद-सुता की साड़ी दौड़े आये लाज बचाई, हे […]

Radha Te Hari Ke Rang Ranchi

अभिन्नता राधा! मैं हरि के रंग राँची तो तैं चतुर और नहिं कोऊ, बात कहौं मैं साँची तैं उन कौ मन नाहिं चुरायौ, ऐसी है तू काँची हरि तेरौ मन अबै चुरायौ, प्रथम तुही है नाची तुम औ’ स्याम एक हो दोऊ, बात याही तो साँची ‘सूर’ श्याम तेरे बस राधा! कहति लीक मैं खाँची

Ram Nam Ke Bina Jagat Main

राम आसरा राम नाम के बिना जगत में, कोई नहीं भाई महल बनाओ बाग लगाओ, वेष हो जैसे छैला इस पिजड़े से प्राण निकल गये, रह गया चाम अकेला तीन मस तक तिरिया रोवे, छठे मास तक भाई जनम जनम तो माता रोवे, कर गयो आस पराई पाँच पचास बराती आये, ले चल ले चल […]

Gopi Vallabh Ke Darshan Main

प्रीति-माधुरी गोपीवल्लभ के दर्शन में, मिलता सुख वैसा कहीं नहीं गोपीजन का था प्रेम दिव्य, प्रेमानुराग की सरित् बही दण्डकवन के ऋषि मुनि ही तो, आकर्षित थे राघव प्रति जो वे बनी गोपियाँ, पूर्ण हुर्इं, अभिलाषा थी इनके मन जो वे देह दशा को भूल गर्इं, हृदय में कोई और न था श्रीकृष्णचन्द्र से प्रेम […]

Prabhu Ke Adbhut Karma Kiya

पृथ्वी का उद्धार प्रभु ने अद्भुत कर्म किया करुणा-निधि श्री हरि तुमने, जो शूकर रूप लिया ऊँच नीच का भेद जीव में, यह भम्र दूर किया यज्ञ रूप हो तुम्हीं शास्त्र में, यह स्पष्ट किया पृथ्वी जल से बाहर लाये, जनहित कार्य किया  

Re Man Govind Ke Hve Rahiye

प्रबोधन रे मन, गोविंद के ह्वै रहियै विरत होय संसार में रहिये, जम की त्रास न सहियै सुख, दुख कीरति भाग्य आपने, मिल जाये सो गहियै ‘सूरदास’ भगवंत-भजन करि, भवसागर तरि जइयै