Ham To Ek Hi Kar Ke Mana

आत्म ज्ञान हम तो एक ही कर के माना दोऊ कहै ताके दुविधा है, जिन हरि नाम न जाना एक ही पवन एक ही पानी, आतम सब में समाना एक माटी के लाख घड़े है, एक ही तत्व बखाना माया देख के व्यर्थ भुलाना, काहे करे अभिमाना कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, हम हरि हाथ […]

Ghutno Ke Bal Chale Kanhaiya

बालकृष्ण घुटनों के बल चले कन्हैया बार-बार किलकारी मारे, आनन्दित हो मैया नवनीत कर में लिये कन्हाई, मुँह पर दही लगाये मणिमय आँगन में परछार्इं, निरख निरख हर्षाये तभी गोपियाँ गोदी लेकर, उन्हें चूमना चाहें बालकृष्ण की अतिप्रिय लीला, अपना भाग्य सराहें

Priy Putra Parvati Maiya Ke

श्री गणेश वंदना प्रिय पुत्र पार्वती मैया के, गज-वदन विनायक विघ्न हरे जो ऋद्धि सिद्धि दाता सेवित, संताप शोक को दूर करे जामुन कपित्थ जैसे फल का, रुचि पूर्वक भोग लगाते हैं मोदक के लड्डू जिनको प्रिय, सारे जग का हित करते हैं सम्पूर्ण यज्ञ के जो रक्षक, कर में जिनके पाशांकुश है है रक्त […]

Lochan Bhaye Shyam Ke Nere

श्री कृष्ण छबि लोचन भए स्याम के नेरे एते पै सुख पावत कोटिक, मो न फेरि तन हेरे हा हा करत, परिहरि चरननि, ऐसे बस भए उनहीं उन कौ बदन बिलोकत निस दिन, मेरो कह्यौ न सुनहीं ललित त्रिभंगी छबि पै अटके, फटके मौसौं तोरि ‘सूर’, दसा यह मेरी कीन्ही, आपुन हरि सौं जोरि

Swamin Pashupate Prabho Das Ke Pas Chudao

शिवाशीव स्तुति स्वामिन्! पशुपति! प्रभो! दास के पास छुड़ाओ जगदम्बा! माँ! उमा वत्स कूँ हृदय लगाओ भटक्यो जग महँ जनक! शरन चरनन महँ दीजे माँ! अब गोद बिठाय चूमि मुख सुत कूँ लीजे यद्यपि हौं अति अधमहूँ, तऊ पिता! अपनाइ लैं मैं जो साधन रहित सुत, कूँ हिय तें चिपकाइ लैं  

Chalo Man Kalindi Ke Tir

कालिंदी कूल चलो मन कालिन्दी के तीर दरशन मिले श्यामसुन्दर को, हरे हिये की पीर तरु कदम्ब के नीचे ठाड़े, कूजत कोयल कीर अधर धरे मुरली नट-नागर, ग्वाल बाल की भीर मोर-मुकुट बैजंती माला, श्रवणन् लटकत हीर मन्द मन्द मुस्कान मनोहर, कटि सुनहरो चीर रास विलास करे मनमोहन, मन्थर बहे समीर शोभित है श्री राधा-माधव, […]

Prem Vastra Ke Bicha Panwde

शबरी का प्रेम प्रेम-वस्त्र के बिछा पाँवड़े, अर्घ्य नमन जल देकर निज कुटिया पर लाई प्रभु को, चरण कमल तब धोकर आसन प्रस्तुत कर राघव को, पूजा फिर की शबरी ने चख कर मीठे बेर प्रभु को, भेंट किये भिलनी ने स्वाद सराहा प्रभु ने फल का, प्रेम से भोग लगाया प्रेम-लक्षणा-भक्ति रूप, फल प्रभु […]

Sab Din Gaye Vishay Ke Het

विस्मरण सब दिन गये विषय के हेत तीनों पन ऐसे ही बीते, केस भये सिर सेत रूँधी साँस, मुख बैन न आवत चन्द्र ग्रसहि जिमि केत तजि गंगोदक पियत कूप जल, हरि तजि पूजत प्रेत करि प्रमाद गोविंद, बिसार्यौ, बूड्यों कुटुँब समेत ‘सूरदास’ कछु खरच न लागत, रामनाम सुख लेत

He Hanumat Ham Adham Daya Kari Ke Apnao

श्री हनुमान स्तुति हे हनुमत! हम अधम दया करिके अपनाओ हे मारुति! भव-जलधि बहि रहो पार लगाओ हे अञ्जनि के तनय! शरन अपनी लै लीजै हे करुनाकर! कृपा कि’रनि पै करि दीजै हे कपि कौशल स्वामि प्रिय, तव नामनि मुखतें कहूँ हे केशरिसुत! तव चरन, चंचरीक बनि नित रहूँ  

Jag Uthe Bhagya Bharat Ke

श्री राधा प्राकट्य जग उठे भाग्य भारत के, परम आनन्द है छाया श्याम की प्रियतमा राधा, प्रकट का काल शुभ आया बज उठीं देव-दुन्दुभियाँ, गान करने लगे किन्नर सुर लगे पुष्प बरसाने, अमित आनन्द उर में भर चले सब ग्वाल नर नारी, वृद्ध बालक सुसज्जित हो सभी मन में प्रफुल्लित हो, देवियाँ देव हर्षित हो […]