Sabse Prem Karo Man Pyare

शरणागति सबसे प्रेम करो मन प्यारे, कोई जाति या वंश द्वेष शत्रुता हो न किसी से, सब ही प्रभु के अंश प्राणों में प्रभु शक्ति न ऐसी,करूँ तुम्हारा ध्यान जड़ता भर दो इस जीवन में, बचे ने कुछ भी ज्ञान मुझसे बड़ा न पापी कोई, मैंने पाप छिपाये प्रायश्चित कर पाऊँ कैसे, समझ नहीं कुछ […]

Man Pachite Hai Avsar Bite

नश्वर माया मन पछितै है अवसर बीते दुरलभ देह पाइ हरिपद भजु, करम, वचन अरु हीते सहसबाहु, दसवदन आदि नृप, बचे न काल बलीते हम-हम करि धन-धाम सँवारे, अंत चले उठि रीते सुत-बनितादि जानि स्वारथ रत, न करू नेह सबही ते अंतहुँ तोहिं तजैंगे पामर! तू न तजै अब ही ते अब नाथहिं अनुरागु, जागु […]

Re Man Murakh Janam Gawayo

असार संसार रे मन मूरख जनम गँवायो करि अभिमान विषय रस राच्यो, श्याम सरन नहिं आयो यह संसार सुवा सेमर ज्यों, सुन्दर देखि भुलायो चाखन लाग्यो रूई गई उड़ि, हाथ कछु नहीं आयो कहा भयो अबके मन सोचे, पहिले पाप कमायो कहत ‘सूर’ भगवंत भजन बिनु, सिर धुनि धुनि पछितायो

Man Le Manwa Murakh Tu

सीख मान ले मनवा मूरख तू, अब तो भज नाम निंरजन का माँ-उदर में जिसने पेट भरा, अब पेट के काज तू क्यों भटके दुनियाँ का पोषण जो करता, वह पालनहार तेरे तन का ये मात-पिता, भाई-बंधु, बेटा अरु, माल मकान सभी कोई वस्तु नहीं स्थिर है यहाँ, करले तू काम भलाई का ये काल […]

Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko

कर्म निष्ठा नर हो न निराश, करो मन को, बस कर्म करो पुरुषार्थ करो आ जाय समस्या जीवन में, उद्देश्य हमारा जहाँ सही साहस करके बढ़ते जाओ, दुष्कर कोई भी कार्य नहीं संघर्ष भरा यहा जीवन है, आशा को छोड़ो नहीं कभी मन में नारायण नाम जपो, होओगे निश्चित सफल तभी जब घिर जाये हम […]

Man Madhav Ko Neku Niharhi

हरि पद प्रीति मन माधव को नेकु निहारहि सुनु सठ, सदा रंक के धन ज्यों, छिन छिन प्रभुहिं सँभारहि सोभा-सील ज्ञान-गुन-मंदिर, सुन्दर परम उदारहि रंजन संत, अखिल अघ गंजन, भंजन विषय विकारहि जो बिनु जोग जग्य व्रत, संयम, गयो चहै भव पारहि तो जनि ‘तुलसिदास’ निसि वासर, हरिपद कमल बिसारहि

Shyam Tan Shyam Man Shyam Hai Hamaro Dhan

प्राण धन श्याम तन, श्याम मन, श्याम है हमारो धन आठो जाम ऊधौ हमें, श्याम ही सो काम है श्याम हिये, श्याम तिये, श्याम बिनु नाहिं जियें आँधे की सी लाकरी, अधार श्याम नाम है श्याम गति, श्याम मति, श्याम ही है प्रानपति श्याम सुखदाई सो भलाई सोभाधाम है ऊधौ तुम भये बौरे, पाती लैकै […]

Ab Man Krishna Krishna Kahi Lije

श्रीकृष्ण स्मरण अब मन कृष्ण कृष्ण कहि लीजे कृष्ण कृष्ण कहि कहिके जग में, साधु समागम कीजे कृष्ण नाम की माला लेके, कृष्ण नाम चित दीजे कृष्ण नाम अमृत रस रसना, तृषावंत हो पीजै कृष्ण नाम है सार जगत् में, कृष्ण हेतु तन छीजे ‘रूपकुँवरि’ धरि ध्यान कृष्ण को, कृष्ण कृष्ण कहि लीजे 

Nirvishayi Banayen Man Ko Ham

प्रबोधन निर्विषयी बनायें मन को हम चिन्तन हो बस परमात्मा का, हो सुलभ तभी जीवन में राम मन और इन्द्रियाँ हो वश में, संयम सेवा का संग्रह हो अनुकूल परिस्थिति आयेगी, सब कार्य स्वतः मंगलमय हो उत्पन्न कामना से होते, सारे ही पाप और विपदा जब अचल शांति हो प्राप्त तभी, मानव को रहे न […]

Mamta Tu N Gai Mere Man Te

वृद्ध अवस्था ममता तू न गई मेरे मन तें पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें श्रवण वचन न सुनत काहू के, बल गये सब इन्द्रिन तें टूटे दाँत वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें भाई बंधु सब परम पियारे, नारि निकारत घर […]