Baithe Hari Radha Sang

मुरली मोहिनी बैठे हरि राधासंग, कुंजभवन अपने रंग मुरली ले अधर धरी, सारंग मुख गाई मनमोहन अति सुजान, परम चतुर गुन-निधान जान बूझ एक तान, चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन, सकल कला गुन प्रवीन अति नवीन रूप सहित, तान वही सुनाई ‘वल्लभ’ गिरिधरनलाल, रीझ कियो अंकमाल कहन लगे नन्दलाल, सुन्दर सुखदाई 

Bhagwan Radha Krishna Karuna Kar

प्रार्थना भगवान् राधाकृष्ण करुणा कर मुझे अपनाइये संसार-सागर में पड़ा, अविलम्ब आप बचाइये धन बंधु बांधव मोह माया, जाल में हूँ मैं फँसा आसक्ति से कर मुक्त, जीवन पर सुधा बरसाइये प्रभु दोष मेरे अनगिनत, अपराध का भण्डार हूँ गति हीन, साधन हीन के, सब क्लेश कष्ट निवारिये मैं प्रिया प्रियतम राधिका श्री कृष्ण का […]

Radha Ju Ke Pran Govardhandhari

राधा प्रेमी स्याम राधा जू के प्रान गोवर्धनधारी तरु-तमाल प्रति कनक लतासी, हरि की प्रान राधिका प्यारी मरकत-मणि सम श्याम छबीलो, कंचन-तन-वृषभानु दुलारी ‘सूरदास’ प्रभु प्रीति परस्पर, जोरी भली बनी बनवारी

Bhajo Re Man Shri Radha Govind

नाम स्मरण भजो रे मन श्री राधा गोविंद जन-मन को निज-धन-मनमोहन, पूरन परमानंद जीवन के जीवन वे तेरे, तू चकोर वे चन्द कैसे तिनहिं बिसारि भयो तूँ, मोह मुग्ध मतिमन्द चेत-चेत रे अब तो मूरख, छोड़ सबहिं छल-छन्द सब तज भज मोहन को प्यारे, यहीं पंथ निर्द्वंद 

Radha Te Hari Ke Rang Ranchi

अभिन्नता राधा! मैं हरि के रंग राँची तो तैं चतुर और नहिं कोऊ, बात कहौं मैं साँची तैं उन कौ मन नाहिं चुरायौ, ऐसी है तू काँची हरि तेरौ मन अबै चुरायौ, प्रथम तुही है नाची तुम औ’ स्याम एक हो दोऊ, बात याही तो साँची ‘सूर’ श्याम तेरे बस राधा! कहति लीक मैं खाँची

Radha Mul Shakti Avatar

शक्ति रुपिणी राधा राधा मूल-शक्ति अवतार प्रेम वही, पुरषार्थ वही है, वही सृष्टि-विस्तार परम ज्योति उतरी बरसाना, महिमा अपरम्पार सेवाधाम बना वृन्दावन, लीला मधुर अपार सरल-सरस जीवन अति प्रमुदित, कैसा मृदु-व्यवहार राधा-प्रेरित कान्हा द्वारा, हुआ जगत् उद्धार 

Radha Nain Neer Bhari Aai

मिलन उत्सुकता राधा नैन नीर भरि आई कबहौं स्याम मिले सुन्दर सखि, यदपि निकट है आई कहा करौं केहि भाँति जाऊँ अब, देखहि नहिं तिन पाई ‘सूर’ स्याम सुन्दर धन दरसे, तनु की ताप बुझाई

Shri Radha Nam Madhur Anmol

राधा नाम अनमोल श्री राधा नाम मधुर अनमोल नाम सुखद राधा प्यारी को, मुँह में मिश्री घोल सुख सरिता श्री राधा स्वामिनि, दर्शन कर सुख पाऊँ अंग अंग अनुराग श्याम का, चरणों में सिर नाऊँ दो अक्षर राधा रानी के, हिय में इन्हें बसाऊँ सोच विचार और सब त्यागूँ, राधा के गुण गाऊँ  

Radha Mohan Karat Biyaru

ब्यालू राधा मोहन करत बियारू एक ही थार सँवारे सुंदरि, वेष धर्यो मनहारी मधु मेवा पकवान मिठाई, षडरस अति रुचिकारी ‘सूरदास’ को जूठन दीनी, अति प्रसन्न ललितारी

Jhumat Radha Sang Giridhar

होली झूमत राधा संग गिरिधर, झूमत राधा संग अबीर, गुलाल की धूम मचाई, उड़त सुगंधित रंग लाल भई वृन्दावन-जमुना, भीज गये सब अंग नाचत लाल और ब्रजनारी, धीमी बजत मृदंग ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, छाई बिरज उमंग