Ab Odhawat Hai Chadariya Vah Dekho Re Chalti Biriya

अंतिम अवस्था
अब ओढ़ावत है चादरिया, वह देखो रे चलती बिरिया
तन से प्राण जो निकसन लागे, उलटी नयन पुतरिया
भीतर से जब बाहर लाये, छूटे महल अटरिया
चार जने मिल खाट उठाये, रोवत चले डगरिया
कहे ’कबीर’ सुनो भाई साधो, सँग में तनिक लकड़िया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *