Aeri Main To Darad Diwani

विरह व्यथा
ऐरी मैं तो दरद दिवानी, मेरो दरद न जाने कोय
घायल की गति घायल जाने, जो कोई घायल होय
जोहरी की गति जोहरी जाने, जो कोई जोहरी होय
सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस विध होय
गगन मँडल पर सेज पिया की, किस विध मिलणा होय
दरद की मारी बन-बन डोलूँ, वैद मिल्यो नहिं कोय
‘मीराँ’ की प्रभु पीर मिटेगी, जो वैद साँवरो होय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *