भरतार श्याम
मैं कृष्ण नाम की चुड़ियाँ पहनूँ, आँख में कजरा डार
गले में मोतियन माला पहनूँ, उनके हित श्रंगार
ऐसे जन को नहीं वरूँ मैं, जो कि जिये दिन चार
मेरे तो भरतार श्याम हैं, उन सँग करूँ विहार
करूँ निछावर जीवन सारा, वे ही प्राणाधार
स्वत्व मिटे, कुछ रहे न मेरा, माया मोह निवार