Satyam Shivam Sundaram
सत्यं शिवं सुन्दरम् सत्यं शिवं सुन्दरम् ही तो श्री हरि का रूप है सुख शांति का यह सार है, अकल्पनीय अनूप है जीवन मे सत्य विचार हो, व्यवहार वाणी शुद्ध हो उत्तम यही तो मार्ग है अन्तःकरण भी शुद्ध हो शिव-भाव से तात्पर्य है, कल्याणमय जीवन रहे सारे अमंगल दूर हों, मालिन्य को न जरा […]
Satogun Jivan Main Apnayen
सतोगुण सतोगुण जीवन में अपनायें रजो, तमो गुण कहीं मार्ग में, नहीं हमें भटकाये श्रद्धा, सेवा, सद्गुण को ही हम आदर्श बनायें हो सहिष्णुता, इन्द्रिय-निग्रह, मार्ग सुगम हो जाये अनुशीलन हो सद्ग्रन्थों का, सत्संग में रुचि आये वृद्धि सत्व की होए तो ही, धर्म कर्म मन भाये सद्बुद्धि दें, प्रभु कृपा कर, अचल शांति सुख […]
Sakhi Ri Achraj Ki Yah Baat
अचरज की बात सखी री! अचरज की यह बात निर्गुण ब्रह्म सगुन ह्वै आयौ, बृजमें ताहि नचात पूरन-ब्रह्म अखिल भुवनेश्वर, गति जाकी अज्ञात ते बृज गोप-ग्वाल सँग खेलत, बन-बन धेनु चरात जाकूँ बेद नेति कहि गावैं, भेद न जान्यौ जात सो बृज गोप-बधुन्ह गृह नित ही, चोरी कर दधि खात शिव-ब्रह्मादि, देव, मुनि, नारद, जाकौ […]
Sakhi Ye Badbhagi Hai Mor
बड़भागी नंद यशोदा सखी! ये बड़भागी हैं मोर जेहि पंखन को मुकुट बन्यो है धर लियो नंद किशोर बड़ भागी अति नंद यशोदा, पुण्य किये भर जोर शिव विरंचि नारद मुनि ज्ञानी, ठाड़े हैं कर जोर ‘परमानन्द’ दास को ठाकुर, गोपियन के चितचोर
Sakhi Sapane Mohan Aaye
ब्रज की स्मृति सखि, सपने में मनमोहन आये बड़े दुखी है मथुरा में वे, कोई तो समझाये टप टप आँसू गिरें नयन से, घूम रहे उपवन में नहीं सँभाल पाते अपने को, व्याकुलता है मन में कहते प्राणेश्वरी राधिके, निश दिन रहूँ उदास लोग भले ही कहें यहाँ सुख, झूठ-मूठ विश्वास तेरे बिना एक पल […]
Sakhi Ye Naina Bahut Bure
प्रीति माधुर्य सखि, ये नैना बहुत बुरे तब सौं भये पराये हरि सो, जबलौं जाई जुरे मोहन के रस बस ह्वै डोलत, जाये न तनिक दुरे मेरी सीख प्रीति सब छाँड़ी, ऐसे ये निगुरे खीझ्यौ बरज्यौ पर ये नाहीं, हठ सो तनिक मुरे सुधा भरे देखत कमलन से, विष के बुझे छुरे
Sakhi Mohan Sang Mouj Karen
फागुन का रंग सखि, मोहन सँग मौज करें फागुन में मोहन को घरवाली बना के, गीत सभी मिल गाएँ री, फागुन में पकड़ श्याम को गलियन डोलें, ताली दे दे नाच नचाएँ मस्ती को कोई न पार आज, फागुन में हम रसिया तुम मोहन गोरी, कैसी सुन्दर बनी रे जोरी जोरी को नाच नचाओ रे, […]
Sakhiyon Ko Sang Liye
नाचे बनवारी सखियों को संग लिये, नाचत बनवारी मन्द मन्द चलत पवन, पूनम को चाँद गगन बाँसुरी बजाये श्यामसुन्दर सुखकारी कंकण किंकिंणी कलाप, गोपीजन मन उमंग मंडल बीच श्याम संग, राधा सुकुमारी बाजे मृदंग ताल, छनन छनन नूपुर-ध्वनि वृन्दावन यमुना-तट, शोभा प्रियकारी
Sakhi Aayo Fagun Mas
होली सखि, आयो फागुन मास, चलों हम खेलें होरी गोपी-जन को कहें प्रेम से राधा गोरी इतने में ज्यों दिखे श्याम, गोपियाँ दौड़ी आई कहाँ छिपे थे प्यारे अब तक कृष्ण कन्हाई घेर श्याम को होरी की फिर धूम मचाई सब मिलकर डाले रंग उन्हीं पर, सुधि बिसराई मौका पा पकड़े मोहन राधा रानी को […]
Sandhyopasan Dwij Nitya Kare
सन्ध्योपासना संध्योपासन द्विज नित्य करे, पातक उनके अनिवार्य जरे प्रातः, मध्याह्न तथा सायं, होए उपासना क्लेश हरे संध्यावन्दन में सूरज को, जल से हम अर्घ्य प्रदान करें ब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री का, मंत्र विधिवत् जाप करे संध्या-महत्व को नहीं जाने वह नहीं करे तक संध्या को शुभ कर्मों का फल नहीं मिले, जीते जी क्षुद्र कहें उसको […]