राम स्मरण
कलि नाम कामतरु राम को
दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष घोर धन धाम को
नाम लेत दाहिनों होत मन वाम विधाता वाम को
कहत मुनीस महेस महातम, उलटे सूधे नाम को
भलो लोक – परलोक तासु जाके बल ललित – ललाम को
‘तुलसी’ जग जानियत नामते, सोच न कूच मुकाम को

One Response

Leave a Reply to Mahendra kumar kar Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *