Anant Guno Ke Jo Sagar

प्रभु संकर्षण वंदना अनन्त गुणों के जो सागर, प्रभु संकर्षण को नमस्कार मस्तक उनके जो हैं सहस्त्र, एक ही पर पृथ्वी का अधार देवता असुर गन्धर्व, सिद्ध, मुनिगण भी पाये नहीं पार एक कान में कुण्डल जगमगाय, शोभित है अंग पे नीलाम्बर कर हल की मठू पर रखा हुआ, वक्ष:स्थल पे वैजन्ती हार भगवान कृष्ण […]

Tum Prem Ke Ho Ghanshyam

प्रेमवश प्रभु तुम प्रेम के हो घनश्याम गोपीजन के ऋणी बने तुम, राधा वल्लभ श्याम शबरी के जूँठे फल खाये, सीतापति श्रीराम लंका राज विभीषण पायो, राम भक्ति परिणाम बंधन मुक्त करे निज जन को, जसुमति बाँधे दाम गाढ़ी प्रीत करी ग्वालन संग, यद्यपि पूरम-काम व्यंजन त्याग साग को भोजन, कियो विदुर के ठाम राजसूय […]

Bheje Man Bhawan Ke Uddhav Ke Aawan Ki

गोपियों की ललक भेजे मन-भावन के उद्धव के आवन की, सुधि ब्रज-गाँवनि में पावन जबैं लगी कहैं, ‘रतनाकर’ गुवालिनि की झौरि-झौरि, दौरि-दौरि नंद-पौरि आवन तबै लगीं उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै, पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छबै लगीं हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, कहन सबै लगीं

Kahu Ke Kul Hari Nahi Vicharat

भक्त के प्रति काहू के कुल हरि नाहिं विचारत अविगत की गति कही न परति है, व्याध अजामिल तारत कौन जाति अरु पाँति विदुर की, ताही के हरि आवत भोजन करत माँगि घर उनके, राज मान मद टारत ऐसे जनम करम के ओछे, ओछनि ते व्यौहारत यह स्वभाव ‘सूर’ के हरि कौ, भगत-बछल मन पारत

Chalo Re Man Jamna Ji Ke Tir

यमुना का तीर चलो रे मन जमनाजी के तीर जमनाजी को निरमल पाणी, सीतल होत शरीर बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लिये बलबीर मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुण्डल झलकत हीर मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल पर सीर

Om Ke Gayen Sab Mil Geet

ॐ वन्दना ॐ के गायें सब मिल गीत सकल सृष्टि आधार प्रणव है, धर्म कर्म का सार यही है कण-कण इसमें, यह कण कण में, निराकार साकार यही है सच्चिदानंदघन भी ये ही है, वेदों का भी जनक यही है गायें गीत ॐ के जो जन, मन वांछित फल पाता है जन्म मरण चक्कर से […]

Tu Ga Le Prabhu Ke Geet

हरि भजन तूँ गा ले प्रभु के गीत दुनिया एक मुसाफिर खाना, जाना एक दिन छोड़ के मात-पिता बंधु सुत पत्नी, सब से नाता तोड़ के एक दिन ये सुन्दर घर तेरा मिट्टी में मिल जाएगा तुझे अचानक ले जाने को, काल एक दिन आएगा अब तो होश सँभालो प्यारे, व्यर्थ ही समय गँवाओ ना […]

Mano Mano Nand Ji Ke Lal

होली मानो मानो नंदजी के लाल चूनर, चोली भिगा दी सारी, डारो न और गुलाल जमुना से जल भर मैं आई, तब भी करी ढिठाई दौड़ के मोरी गगरी गिराई, कैसो कर दियो हाल गीली चुनरिया सास लड़ेगी, ननँद साथ नहीं देगी काहू भाँति नहीं बात बनेगी, नटखट करी कुचाल नंदकुँवर खेली जो होरी, करी […]

Khelan Ke Mis Kuwari Radhika

राधा कृष्ण लीला खेलन के मिस कुँवरि राधिका, नंदमहर के आई सकुच सहित मधुरे करि बोली, घर हैं कुँवर कन्हाई ? सुनत श्याम कोकिल सम बानी, निकसे अति अतुराई माता सों कछु करत कलह हरि, सो डारी बिसराई मैया री, तू इन को चीन्हति, बारम्बार बताई जमुना-तीर काल्हि मैं भूल्यो, बाँह पकरि लै आई आवत […]

Fagun Ke Din Char Re Hori Khel Mana Re

आध्यात्मिक होली फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झणकार रे बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे सील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे घट के सब पट खोल दिये हैं, लोक लाज सब […]