Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par

नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार 

Mangal Aarti Divya Yugal Ki

युगल किशोर आरती मंगल आरति दिव्य युगल की, मंगल प्रीति रीति है उनकी मंगल कान्ति हँसनि दसनन की, मंगल मुरली मीठी धुन की मंगल बनिक त्रिभंगी हरि की, मंगल चितवनि मृगनयनी की मंगल सिर चंद्रिका मुकुट की, मंगल छबि नैननि में अटकी मंगल शोभा पियरे पटकी, मंगल आभा नील-वसन की मंगल आभा कमलनयन की, मंगल […]

Radha Ju Ke Pran Govardhandhari

राधा प्रेमी स्याम राधा जू के प्रान गोवर्धनधारी तरु-तमाल प्रति कनक लतासी, हरि की प्रान राधिका प्यारी मरकत-मणि सम श्याम छबीलो, कंचन-तन-वृषभानु दुलारी ‘सूरदास’ प्रभु प्रीति परस्पर, जोरी भली बनी बनवारी

Krishna Radhika Radha Krishna

युगल स्वरूप कृष्ण राधिका, राधा कृष्ण, तत्व रूप से दोनों एक राधे श्याम, श्याम राधिके, भिन्न तथापि अभिन्न विवेक राधामय जीवन ही कृष्ण का, कृष्णचन्द्र ही जीवन रूप ऐकमेकता दिव्य युगल की, सदा एकरस तत्व अनूप दो के बिना न संभव होता, वितरण लीला का आस्वाद इसीलिये तो तन-मन से वे, लीला करते-निर्विवाद नित्य नया […]

Radha Mohan Karat Biyaru

ब्यालू राधा मोहन करत बियारू एक ही थार सँवारे सुंदरि, वेष धर्यो मनहारी मधु मेवा पकवान मिठाई, षडरस अति रुचिकारी ‘सूरदास’ को जूठन दीनी, अति प्रसन्न ललितारी

Ghanshyam Bulawe Radha

हिंडोला (राजस्थानी) घनश्याम बुलावे राधा, थे झूलण चालो बाग में मलय-चँदन को बन्यो हिंडोलो, बँधी रेशमी डोर झूलो आप झुलावे मोहन, नाच रह्यो मन-मोर सजधज आई बाग में राधा, कण्ठ फूल को हार चम्पा, जूही और चमेली, शीतल बहे बयार दादुर, मोर, पपीहा बोले, पीव पीव करे पुकार शिव, ब्रह्मा सनकादिक निरखे, कोई न पायो […]

Sundar Shyam Piya Ki Jori

राधा-कृष्ण माधुरी सुन्दर स्याम पिया की जोरी रोम रोम सुंदरता निरखत, आनँद उमँग बह्योरी वे मधुकर ए कुंज कली, वे चतुर एहू नहिं भोरी प्रीति परस्पर करि दोउ सुख, बात जतन की जोरी वृंदावन वे, सिसु तमाल ए, कनक लता सी गोरी ‘सूर’ किसोर नवल नागर ए, नागरि नवल-किसोरी

Chabili Radhe Puje Ri Gangour

गणगौर पूजन छबीली राधे पूजे री गणगौर ललितादिक सब सखियाँ पहुँची वृषभान की पौर पारबती शिवजी को पूजन, श्याम सुन्दर मन मोर सघन कुंज, वृन्दावन अनुपम मिलि गयौ नंद-किसोर ‘नंददास’ प्रभु आय अचानक, घेरी लियो चहुँ ओर  

Jhumat Radha Sang Giridhar

होली झूमत राधा संग गिरिधर, झूमत राधा संग अबीर, गुलाल की धूम मचाई, उड़त सुगंधित रंग लाल भई वृन्दावन-जमुना, भीज गये सब अंग नाचत लाल और ब्रजनारी, धीमी बजत मृदंग ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, छाई बिरज उमंग

Jhula Jhule Shri Giridhari

झूला झूला झूले श्री गिरधारी मणिमय जटित हिंडोला बैठे, संग में प्राण पियारी वाम भाग सोहत श्री राधा, पहन लहरिया सारी शीतल मन्द सुगन्धित वायु, श्याम घटा मनहारी कोकिल मोर पपीहा बोले, मधुर गान सुखकारी फूल-हार, फूलों का गजरा, युगल रूप छबि न्यारी